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उत्तर पूर्व के स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में शैक्षणिक जगत की भूमिका महत्वपूर्ण : डा. राजकुमार रंजन सिंह

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देश के हर हिस्से से आजादी की अलख जगी थी लेकिन किन्ही कारणों से उत्तर –पूर्व भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास में वो पहचान नहीं मिली जिसके वो हकदार थे । मुख्य अतिथि के रूप में नागालैंड के पूर्व राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य उपस्थित थे।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Fri, 14 Jan 2022 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 14 Jan 2022 07:14 PM (IST)
उत्तर पूर्व के स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में शैक्षणिक जगत की भूमिका महत्वपूर्ण : डा. राजकुमार रंजन सिंह
इसमें शैक्षणिक जगत की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है ।

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देश के हर हिस्से से आजादी की अलख जगी थी, लेकिन किन्ही कारणों से उत्तर –पूर्व भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास में वो पहचान नहीं मिली जिसके वो हकदार थे । आज के समय में इस दिशा में विशेष प्रयास जारी है और इसमें शैक्षणिक जगत की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है । उक्त बातें शिक्षा और विदेश राज्यमंत्री डा. राजकुमार रंजन सिंह ने जवाहरलाल नेहरु विश्विद्यालय (जेएनयू) में आयोजित वर्ष 2020 के लिए तृतीय गवर्नर आचार्य पुरस्कार कार्यक्रम में कहीं। आनलाइन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नागालैंड के पूर्व राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य उपस्थित थे।

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समारोह की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरु विश्विद्यालय के कुलपति प्रो.एम.जगदेश कुमार ने की। नागालैंड के पूर्व राज्यपाल पद्मनाभ आचार्य के प्रयासों से प्रारंभ किए गए, इस पुरस्कार में विश्वविद्यालय में भारत के उत्तर-पूर्व भाग से संबद्ध विषय पर शोध करने वाले पांच शोधार्थियों को पुरस्कृत किया जाता है । उत्तर पूर्व के स्वतंत्रता सेनानियों और विशिष्ट व्यक्तियों की स्मृति में वर्ष 2020 के पुरस्कार तेजस्विता दुआराह को शम्भुधन फोंग्लो, कृष्णा हजारिका को बाबू जगजीवन राय, राजेंद्र कुमार जोशी को जननेता हिजाम इराबोत, अजंता दास को देयिंग एर्रिंग और देवप्रिया सरकार को पद्मसंभव पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

पद्मनाभ आचार्य ने क्षोभ व्यक्त किया कि उत्तर पूर्व के स्वाधीनता संग्राम सेनानियों और घटनाक्रमों को षडयंत्र स्वरुप पाठ्यक्रमों में स्थान नहीं मिल पाया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि जेएनयू सरीखे विवि द्वारा उत्तर पूर्व क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों पर अध्ययन और शोध कार्यों से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी, जिससे वे गत 75 वर्षों से वंचित रहे ।

कुलपति प्रो. जगदेश कुमार ने बताया कि इस क्षेत्र को महत्त्व देते हुए, विश्वविद्यालय परिसर के एक मुख्य मार्ग का नामकरण, मणिपुर और नागालैंड की विख्यात स्वत्रंता सेनानी रानी गाइदिन्ल्यू के नाम पर किया गया है । उन्होंने बताया की आगामी सत्र से एक नया बराक छात्रावास भी छात्रों के लिए उपलब्घ होगा। विशेष अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार राव ने उपस्थित सभी विद्वजनों का आभार व्यक्त किया।


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