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समाज में महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस की तत्परता से बढ़ेगा न्याय के प्रति विश्वास

तिहाड़ जेल की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ऐसे मामले भी सामने आते हैं जिनमें पीड़िताओं द्वारा छेड़खानी की शिकायतों को पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया बाद में उनके साथ अनहोनी हो गई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 01:52 PM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 01:53 PM (IST)
समाज में महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस की तत्परता से बढ़ेगा न्याय के प्रति विश्वास
महिलाओं से संबंधित शिकायतों को पुलिस बेहद गंभीरता से ले और उस पर तुरंत कार्रवाई करे।

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। महिलाओं व बच्चियों के साथ हो रहे अपराध में कमी न आना, दो बातों की ओर इशारा करता है। पहला महिलाओं के प्रति आज भी समाज की मानसिकता नहीं बदली है और दूसरा कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर जिस स्तर पर काम होना चाहिए था, वह अब भी नहीं हो रहा है। सुरक्षा देने के लिए नियम-कायदे तो बनाए गए हैं, लेकिन इन पर पूरी तरह से अमल नहीं हो पा रहा है।

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एक और पहलू यह भी है कि महिलाएं और बच्चियां अपने साथ हुए र्दुव्‍यवहार को न तो स्वजन और न ही पुलिस को बताती हैं। सोचने वाली बात है कि कई मामलों में महिलाएं अपने साथ हुए र्दुव्‍यवहार पर स्वजन से अगर चर्चा भी करती हैं तो स्वजन लोकलाज के डर से अपने तक ही सीमित रख लेते हैं। ऐसे में पीड़िताओं को न्याय नहीं मिल पाता है और आरोपितों को ऐसे जघन्य अपराध करने में शह मिलती है। समाज को नजरिया बदलने की जरूरत है।

तफ्तीश और सुबूत जुटाने में तेजी से हो काम : सरकार को भी इस दिशा में व्यापक व कठोर कदम उठाने की जरूरत है। हाल के दिनों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें बच्चियों के साथ गलत हुआ। कई मामलों में पीड़िताओं की हत्या तक कर दी गई। इन मामलों की अभी जांच की जा रही है। कई मामलों में देखा गया है कि सूचना समय पर पुलिस तक पहुंचने पर आरोपित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होती है। देखने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस ऐसे मामलों की तफ्तीश कितनी जल्द करती है। यदि पुलिस द्वारा मामलों की जांच तेजी से की जाए, अदालत में मजबूत सुबूत पेश किए जाएं तो निश्चित ही पीड़िताओं को न्याय मिलने में देरी नहीं होगी। विश्वास भी बढ़ेगा। ऐसा अमूमन मामलों में होता है कि यदि जांच लंबी चलती है तो इससे पीड़िताओं को ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे आरोपितों के कहीं न कहीं बरी होने की संभावना बन जाती है। सबसे जरूरी यही है कि पुलिस की जांच में और अदालत के ट्रायल में तेजी लाई जाए।

न्याय की आस जगानी होगी : महिलाओं के साथ यौन शोषण के मामले में स्वजन का पूरा सहयोग मिलना भी बहुत जरूरी है ताकि वे मानसिक रूप से कमजोर न पड़ें। निर्भया मामले में उनके स्वजन का पूरा समर्थन था। यहां तक कि दिल्ली भी इस मामले में न्याय दिलाने को जुट गई। लोगों का आक्रोश फूटा। इसके साथ ही इस मामले में पुलिस द्वारा भी तेजी से कार्रवाई की गई। निर्भया मामले में आरोपितों को न्याय की सारी कसौटी में रखते हुए फांसी की सजा दी गई। दुष्कर्म के आरोपितों को जिस तरीके से सजा दिलाई गई उससे समाज में एक उम्मीद जगी।

संदेश गया कि अपराधी कैसे भी हों उन्हें उनके किए की सजा जरूर मिलेगी। हैरानी की बात है कि इसका संदेश सही तरीके से उन घृणित लोगों तक नहीं पहुंच सका है। यही कारण है कि महिलाओं व बच्चियों से होने वाले अपराधों में कमी आने के बजाय बढ़ते ही गए हैं। इसके लिए पुलिस को निरंतर जरूरी कदम उठाने होंगे। निर्भया मामले के बाद उन दिनों ऐसा देखा गया कि पीड़िताएं पुलिस से अपने साथ हुए दुराचार की सूचना देने लगी थीं। दिल्ली के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुलिस महिला अपराध से जुड़े मामलों में तेजी से कार्रवाई करने लगी थी। अब फिर सतर्कता कमजोर पड़ी है। सिर्फ यौन शोषण ही नहीं, छेड़छाड़ जैसे मामलों की शिकायत को भी पुलिस को गंभीरता से लेना चाहिए इससे शुरुआत में ही बड़ी घटनाएं घटित होने से रोकी जा सकती हैं।

तिहाड़ जेल की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ऐसे मामले भी सामने आते हैं जिनमें पीड़िताओं द्वारा छेड़खानी की शिकायतों को पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया, बाद में उनके साथ अनहोनी हो गई। ऐसे में बेहद जरूरी है कि महिलाओं से संबंधित शिकायतों को पुलिस बेहद गंभीरता से ले और उस पर तुरंत कार्रवाई करे। जिससे हमारे समाज में पुलिस की जांच का एक अच्छा संदेश जाएगा। दूसरी तरफ पुलिस को अपने स्तर पर समाज के हर वर्ग को जागरूक करने के लिए निरंतर ठोस कदम उठाने चाहिए।


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