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श्मशान घाट पर नहीं टूट रहा कोविड शवों का सिलसिला, निगमबोध घाट पर रोज आ रहे 15 से 20 शव

जब से दिल्ली में कोेरोना के तीसरी लहर की बात कहीं जा रही है तब से रोजाना सात हजार से अधिक मामले सामने आने लगे हैं 100 के करीब मौतें भी हो चुकी है। इसका दबाव अस्पतालों के साथ ही श्मशान गृहों और कब्रिस्तानों पर दिखने लगा है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 06:22 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 06:22 PM (IST)
श्मशान घाट पर नहीं टूट रहा कोविड शवों का सिलसिला, निगमबोध घाट पर रोज आ रहे 15 से 20 शव
दिल्ली गेट स्थित कब्रिस्तान में भी शवों के आने का सिलसिला जारी है। (फाइल फोटो)

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इधर, जब से दिल्ली में कोेरोना के तीसरी लहर की बात कहीं जा रही है तब से यहां रोजाना सात हजार से अधिक मामले सामने आने लगे हैं तो 100 के करीब मौतें भी हो जा रही है। इसका दबाव अस्पतालों के साथ ही श्मशान गृहों और कब्रिस्तानों पर दिखने लगा है। एक बार फिर से इन स्थानों पर शवों का तांता लगने लगा है। यहीं नहीं, दूसरी बीमारियों से मौतों का मामला भी अचानक बढ़ा है।

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अकेले कश्मीरी गेट स्थित निगम बोध घाट में रोजाना 15 से 20 कोरोना संक्रमित शरीर का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। तो दूसरी बीमारियों से दम तोड़ने वाले भी तकरीबन 75 शव आ जा रहे हैं। भोर से शुरू होता यह सिलसिला देर रात तक चल रहा है। ऐसे में घाट कर्मियों का काम काफी बढ़ गया है। कोरोना शव जलाने के मामले में 12 से अधिक कर्मी लगे हैं।  

कोरोना के बढ़ते शवों को देखते हुए निगमबोध घाट में तीन नए सीएनजी शवदाह गृह शुरू कराने की तैयारियां शुरू कर दी गई है। यहां मार्च से अब तक 2000 से अधिक कोविड-19 शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है।

निगमबोध घाट के संचालन समिति बड़ी पंचायत वैश्य बीसे अग्रवाल के अध्यक्ष सुमन गुप्ता ने कहा कि तीन नए सीएनजी शवदाह गृह बन गए हैं। उसे जल्द शुरू करने की तैयारी है। जल्द ही इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आइजीएल) के अधिकारी स्थलीय निरीक्षण कर शवदाह गृह की सुरक्षा का आंकलन करेंगे। उसके बाद इसे शुरू कर दिया जाएगा। मौजूदा समय में सीएनजी के तीन शवदाह भट्ठियां है। सुमन गुप्ता ने कहा कि इन तीनों की स्थिति खराब है। तीन नए भट्ठियाें के शुरू होने के बाद पुराने भट्ठियों की मरम्मत कराई जाएगी।

वैसे, लकड़ियों से भी अब कोविड शवों को जलाने की मंजूरी मिल गई है। इसलिए शवों को जलाने में अधिक इंतजार नहीं करना पड़ रहा है। तो भी पांच से छह घंटे लग जा रहे हैं। श्मशान घाट के प्रबंधक विशाल मिश्रा के मुताबिक इधर बीच रोजाना 80 से 90 शव आ रहे हैं। इसमें 15 से 20 शव कोरोना के है। इसलिए उन लोगों का काम काफी बढ़ गया है।

कब्रिस्तान में कोविड-19 शवों के लिए कम पड़ने लगी 10 बीघा जमीन

राष्ट्रीय राजधानी में जिस हिसाब से कोरोना से मौतों का मामला बढ़ रहा है। ऐसे में आशंका है कि जल्द ही कोविड-19 शवों को दफनाने के लिए तय 10 बीघा जमीन भी कम पड़ जाएगी। दिल्ली गेट स्थित जदीद कब्रिस्तान अहले इस्लाम में कोविड शवों के दफनाने का मामला देखने वाले शमीम ने बताया कि चार-चार बीघा व फिर दो बीघा, इस तरह कोराेना शवों के लिए कब्रिस्तान में कुल 10 बीघा जमीन आवंटित कर दी गई है, लेकिन जिस हिसाब से शवों के आने का सिलसिला चल रहा है, लगता है कि जल्द ही यह भी जमीन पूरी तरह से भर जाएगी। अब तक इस कब्रिस्तान में तकरीबन 800 शव दफनाए जा चुके हैं। फिलवक्त दो से चार शव प्रतिदिन आ रहे हैं।  

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