आइएस आतंकी नफीस खान की दस साल सजा वाली चुनौती याचिका पर हाई कोर्ट ने की टिप्पणी, पढ़िए पूरा मामला
अभियोजन द्वारा जुर्माना राशि घटाने का विरोध करने पर पीठ ने कहा कि जांच एजेंसी ने अप्रिय घटना होने से पहले दोषी को पकड़ लिया था और इससे किसी को कोई वास्तविक नुकसान नहीं हुआ। ऐसे में जुर्माना कम किया जा सकता है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दस साल की सजा को चुनौती देने वाली आतंकवादी संगठन आइएस के आतंकी मोहम्मद नफीस खान की याचिका पर सुनवाई के दौरान चिंता जाहिर करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि जरा सोचिए कि अगर आइईडी में विस्फोट होता तो क्या होता।कितने लोगों की जान चली जाती।न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने कहा देश में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश के दोषी नफीस के खिलाफ आरोप गंभीर हैं।
पीठ ने कहा कि मामला यह नहीं है कि आप मनोरंजन के लिए आइईडी बना रहे थे।आप स्वीकार करते हैं कि आप भारत में आतंक पैदा करने के लिए आइईडी बना रहे थे।आप वयस्क हैं और अपने कृत्यों के लिए जिम्मेदार हैं।"
पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2020 को आइएस आतंकी होने व विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से मुस्लिम युवाओं की भर्ती करके भारत में आपराधिक साजिश रचने के लिए नफीस समेत 13 लोगों को सजा सुनाई थी।नफीस ने अदालत द्वारा सुनाई गई दस साल की सजा व उस पर लगाए गए एक लाख तीन हजार रुपये के जुर्माने को चुनौती दी गई थी।
राहत न देने के अदालत के रुख को देखते हुए नफीस की तरफ से पेश अधिवक्ता प्रशांत प्रकाश ने उसकी सजा को कम करने की मांग की।अदालत ने प्रार्थना को स्वीकार करते हुए जुर्माने की राशि को घटाकर आधा कर दिया।अभियोजन द्वारा जुर्माना राशि घटाने का विरोध करने पर पीठ ने कहा कि जांच एजेंसी ने अप्रिय घटना होने से पहले दोषी को पकड़ लिया था और इससे किसी को कोई वास्तविक नुकसान नहीं हुआ। ऐसे में जुर्माना कम किया जा सकता है।
पीठ ने कहा कि नफीस को भारतीय दंड संहिता धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराध करने के लिए दोषी ठहराया था।पीठ ने नोट किया कि पहले सैनिटरी दुकान में सहायक के रूप में काम कर रहा था और उसके परिवार के साथ उसका कोई सामाजिक संबंध नहीं था।ऐसे में अदालत नफीस पर लगाए गए सजा के आदेश को बरकरार रखते हुए जुर्माने को घटाकर आधा करती है।
निचली अदालत ने नफीस खान को जहां दस साल तो अन्य तीन दोषियों को सात-सात साल और एक व्यक्ति को छह साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।वहीं, आठ अन्य दोषियों को भी पांच साल की जेल की सजा सुनाई थी।
इस मामले में अबू अनस, मुफ्ती अब्दुल सामी कासमी और मुदब्बीर मुश्ताक शेख को सात-सात साल और अमजद खान को छह साल के लिए जेल भेजा गया था। वहीं, ओबेदुल्ला खान, नजमुल हुदा, मोहम्मद अफजल, सुहैल अहमद, मोहम्मद अलीम, मोइनुद्दीन खान, आसिफ अली और सैयद मुजाहिद को पांच साल के लिए जेल भेजा गया था।
दोषियों ने जूनूद-उल-खिलाफा-फिल-हिंद संगठन का गठन किया था। जिसका उद्देश्य भारत में खिलाफत स्थापित करना और सीरिया के इशारे पर भारत में आतंकवाद के कृत्यों को करने के लिए युवाओं को भर्ती कराना था।इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने नौ दिसंबर 2015 को दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।वर्ष 2016-2017 में आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।