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केंद्र सरकार की नई गाइडलाइंस में कोरोना वायरस से बचना है तो अपने आशियाने को बनाएं हवादार

सीएसइ सस्टेनेबल सिटीज प्रोग्राम के मैनेजर अविकल सोमवंशी ने बताया कि एसी के अपने लाभ हैं लेकिन वह प्राकृतिक वेंटिलेशन का पर्याय नहीं है। हमें भवनों की डिजाइन इस प्रकार बनाने की आवश्यकता है जिसमें वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 10:05 AM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 10:05 AM (IST)
केंद्र सरकार की नई गाइडलाइंस में कोरोना वायरस से बचना है तो अपने आशियाने को बनाएं हवादार
केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के प्रमुख बिंदु: जालीदार खिड़कियां अवश्य हों।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क, दो गज की दूरी और पर्याप्त स्वच्छता तो जरूरी है ही, घर भी हवादार होना चाहिए। अगर घर में वेंटिलेशन की बेहतर व्यवस्था होगी तो वहां वायरस टिक ही नहीं पाएगा। इस महामारी से लड़ने के लिए केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय से जारी नई गाइडलाइंस में इस पर खासा जोर है। इसमें वेंटिलेशन के उपाय सुझाने के साथ-साथ नए भवनों की डिजाइन भी उसी के अनुरूप बनाने की सलाह दी गई है। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) ने इस सलाह को तार्किक बताया है।

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नई गाइडलाइंस के मुताबिक संक्रमित व्यक्ति की लार और नाक से निकलने वाला स्राव वायु अभिण (ऐरोसोल) और बूंदों के रूप में एक से दूसरे को संक्रमित कर सकता है। इसके बारीक कण हवा के जरिये दूर तक जाते हैं। अगर घर या दफ्तर में पर्याप्त वेंटिलेशन न हो तो ये बूंदें और अभिकण वहीं एकत्रित होने लगते हैं, जिससे संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है। इसके विपरीत खुले स्थानों में संक्रमण फैलने के आसार बहुत कम होते हैं, क्योंकि वायरस के कण जल्द ही हवा में फैल जाते हैं।

गाइडलाइंस के मुताबिक भवन में अंदर की हवा बाहर जाने और बाहर की हवा अंदर आने की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। कोई भी भवन जितना हवादार होगा, उसमें रहने वालों में संक्रमण की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी। यहां तक कि एसी चलाने की स्थिति में भी घर या दफ्तर के सभी खिड़की दरवाजे करे बंद नहीं करना चाहिए। इसके पीछे का कारण भी बताया गया है। ऐसी सूरत में संक्रमित हवा उसी क्षेत्र में जमा हो जाती है और संक्रमण की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। एसी चलाने पर खिड़की या दरवाजे थोड़ा खुला रखें।

सीएसई का आकलन: इस संदर्भ में सीएसई ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पहले भवनों की डिजाइन इसी तरह से की जाती थी। उनमें आंगन होता था, वेंटिलेशन के लिए पर्याप्त खिड़की दरवाजे भी होते थे। लेकिन, जैसे-जैसे शहरों की आबादी बढ़ती गई और जमीन घटती गई, वैसे-वैसे बिल्डरों एवं एसी बनाने वाली कंपनियों की गठजोड़ से भवनों की ऐसी डिजाइन बनने लगी, जिसमें कम क्षेत्रफल में भी अधिक जगह देने के लिए उसे पूर्णतया कवर किया जाने लगा। वेंटिलेशन की कमी महसूस न हो, इसके लिए एसी लगाए जाने लगे।

केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के प्रमुख बिंदु

  • जालीदार खिड़कियां अवश्य हों। एग्जॉस्ट फैन भी लगा रहे तो और बेहतर
  • दफ्तरों, सभागारों और शॉपिंग मॉल इत्यादि, जहां वायु प्रवाह के माध्यम सीमित होते हैं, वहां उनकी छतों पर फिल्टर लगाकर वेंटिलेशन की कारगर व्यवस्था की जानी चाहिए
  • जहां तक संभव हो, बसों और टे्रनों में खिड़कियां खुली रखी जाएं। वायु प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए एग्जॉस्ट फैन लगे हों और एसी में फिल्टर लगाया जाए
  • नए भवनों की डिजाइन भी वेंटिलेशन की कारगर व्यवस्था रखते हुए ही तैयार की जाए

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सीएसइ सस्टेनेबल सिटीज प्रोग्राम के मैनेजर अविकल सोमवंशी ने बताया कि एसी के अपने लाभ हैं, लेकिन वह प्राकृतिक वेंटिलेशन का पर्याय नहीं है। हमें भवनों की डिजाइन इस प्रकार बनाने की आवश्यकता है, जिसमें वेंटिलेशन की पर्याप्त व्यवस्था हो। भवन मानकों में इसे शामिल करना अनिवार्य होना चाहिए।

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