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Farmers Protest: किसान नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें, आंदोलन खोता जा रहा रौनक

यूपी गेट पर चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन में रविवार को नजारा बदला बदला सा नजर आया। यहां जमा हुए नेताओं को किसान पंचायत में जिस तरह से भीड़ दिखने की उम्मीद थी वैसा नहीं दिखा इस वजह से मंच पर बैठे नेताओं के चेहरे पर शिकन भी दिखाई दी।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 05:35 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 05:37 PM (IST)
Farmers Protest: किसान नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें, आंदोलन खोता जा रहा रौनक
यूपी गेट पर आयोजित किसान पंचायत में मंच पर मौजूद नेता। फोटो-मनोज कुमार

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। यूपी गेट पर चल रहे किसानों के धरना प्रदर्शन में रविवार को नजारा बदला बदला सा नजर आया। यहां जमा हुए नेताओं को किसान पंचायत में जिस तरह से भीड़ दिखने की उम्मीद थी वैसा नजारा नहीं दिखा। इस वजह से मंच पर बैठे नेताओं के चेहरे पर शिकन भी साफ दिखाई दी। एक दूसरी बात ये भी देखने को मिली कि अब किसानों के धरना प्रदर्शन स्थल पंचायत चुनाव के संपर्क स्थल भी बन गए हैं।

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पंचायत चुनाव में किस्मत आजमा रहे कुछ उम्मीदवार यहां अपने साथियों के साथ जनसंपर्क के लिए भी पहुंचे दिखे। इन लोगों को यहां किसानों से उनका गांव पूछते और पंचायत चुनाव में मदद करने की मांग करते भी देखा गया। वैसे तो आम दिनों के मुकाबले रविवार को यहां कुछ ही अधिक किसान नजर आ रहे थे मगर वो यहां अपने वाहनों से शामिल होने के लिए आए थे।

इन दिनों यहां पर लगभग 200 किसान टेंटों में हैं, बाकी लौट चुके हैं, रविवार को भारतीय किसान यूनियन की ओर से आयोजित की गई पंचायत में इनकी संख्या कुछ ही बढ़ी नजर आई। किसानों की संख्या को इतना कम देखकर मंच पर बैठे किसान यूनियन के बड़े नेताओं के चेहरे पर मायूसी साफ दिख रही थी।


कुछ किसान तो ऐसे भी देखे गए जो अपने साथियों के साथ यहां बैठे किसानों से संपर्क साधा और चलते बने। मंच पर बैठे किसान नेता कुछ दिन पहले राजस्थान के अलवर में राकेश टिकैत पर हुए हमले की निंदा करने के लिए यहां जमा हुए थे, इन सभी को उसी मुद्दे पर पंचायत करनी थी। इसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत भी शामिल हुए मगर उस हिसाब से यहां किसानों की भीड़ देखने को मिली।

मालूम हो कि 26 जनवरी के बाद से धीरे-धीरे किसान यहां से अपना सामान समेटकर पंजाब और अन्य जगहों पर जा चुके हैं। यहां से टेंट भी उखड़ चुके हैं। पहले किसानों ने ठंड को ध्यान में रखते हुए यहां पर इंतजाम किए थे अब वो गर्मी को ध्यान में रखकर यहां बांस और अन्य चीजों से झोपड़ियां और अन्य चीजें बना रहे हैं। जिससे धरना चलता रहे। किसानों से समर्थन मांगने के लिए ही राकेश टिकैत दूसरे प्रदेशों में जाकर वहां किसानों से मदद मांग रहे हैं, पंचायत कर रहे हैं मगर उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिल पा रहा है।

किसानों की घटती संख्या से भारतीय किसान यूनियन के बड़े नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखने लगी हैं। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में यूपी गेट पर 28 नवंबर से धरना-प्रदर्शन चल रहा है। क्षेत्र को जोन और सेक्टर में बांटकर सुरक्षा-व्यवस्था पुख्ता की जा रही है। ड्रोन कैमरे से भी नजर रखी जा रही है। खुफिया विभाग को सक्रिय किया गया है।


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