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कोरोना काल में माता-पिता या इनमें से किसी एक को खोने वाले बच्चों के लिए हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, जानिए क्या होगा फायदा

महामारी के कारण अपने माता-पिता या इनमें एक को खोने वाले बच्चों की जानकारी जुटाने का दिल्ली सरकार को निर्देश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि बेसहारा हुए बच्चे कमजोर स्थिति में हैं उनकी मदद जरूरी है। कोरोना संक्रमित दिव्यांग बच्चों के संबंध में इहबास भूमिका निभा सकता है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 04 Jun 2021 01:17 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jun 2021 01:17 PM (IST)
कोरोना काल में माता-पिता या इनमें से किसी एक को खोने वाले बच्चों के लिए हाईकोर्ट ने दिए निर्देश, जानिए क्या होगा फायदा
प्रधान सचिव को आदेश, सभी अस्पतालों को ऐसे बच्चों के बारे में जानकारी जुटाई जाए।

नई दिल्ली, [जागरण संवाददाता]। महामारी के कारण अपने माता-पिता या इनमें एक को खोने वाले बच्चों की जानकारी जुटाने का दिल्ली सरकार को निर्देश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि बेसहारा हुए बच्चे कमजोर स्थिति में हैं उनकी मदद जरूरी है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों को निर्देश दिया कि वे ऐसे बच्चों के बारे में जानकारी जुटाने में मदद करें। पीठ ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) से कहा कि वह सभी अस्पतालों को निर्देश जारी कर उन मामलों की जानकारी लें, जिनमें पति-पत्नी दोनों की मृत्यु होने के कारण बच्चे बेसहारा हो गए हैं।

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पीठ ने ये टिप्पणी तब की जब अधिवक्ता प्रभसहाय कौर ने बताया कि महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों और उनकी पहचान के बारे में जानकारी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने दिल्ली में एक या दोनों माता-पिता को खोने वाले 1,436 बच्चों की सूचना दी है। वहीं, बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी) ने ऐसे 15 बच्चों की जानकारी दी है। हालांकि, दिल्ली सरकार की वरिष्ठ अधिकारी रश्मि सिंह ने पीठ को बताया कि कई परिवार के सदस्य अपने बच्चों का ब्योरा देने को तैयार नहीं हैं। इसके अलावा कौर ने कहा कि कोरोना संक्रमित दिव्यांग बच्चों के संबंध में मानव व्यवहार एवं संबंद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

इसके संबंध में इहबास के निदेशक डा. निमेश जी देसाई ने अदालत को सूचित किया कि वे मोबाइल मानसिक स्वास्थ्य इकाई (एमएमएचयू) हर जिले में उपलब्ध होगी इसके जरिये विशेष जरूरत वाले रोगियों को परिवहन एंबुलेंस, काउंसलर, चिकित्सा अधिकारी, स्टाफ नर्स, नर्सिंग अर्दली आदि सहायता घर पर ही दी जाएगी। पीठ ने कहा कि इस पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें।पीठ को कौर ने बताया कि सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए कोई योजना नहीं है और न ही उन्हें दवा और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं।

इस पर दिल्ली सरकार के स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि इस मामले में संबंधित विभाग से पांच जून को होने वाली बैठक में चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि माता-पिता को खोने बच्चों को अनुग्रह राशि प्रदान करने के लिए एक नीति तैयार की जा रही है। इस पर अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार अपने इस बयान से बाध्य है और अगर इसे नहीं लागू किया तो जिम्मेदार लोगों को परिणाम भुगतना होगा।


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