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तेरी महफिल में इस अंदाज से बैठा है दीवाना जुबां खामोश हैं... और खामोश हो गए बिरजू महाराज

उनकी नातिन रागिनी उनके सिर की मालिश कर रही थी कि करीब 11 बजकर 50 अचानक कंपकपी उठी और देखते ही देखते शरीर ठंडा पड़ गया। रात को 12बजकर 15 मिनट मैक्स साकेत अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 06:30 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 06:30 PM (IST)
तेरी महफिल में इस अंदाज से बैठा है दीवाना जुबां खामोश हैं... और खामोश हो गए बिरजू महाराज
रविवार शाम परिवार के साथ बिताया समय, अंताक्षरी में सुनाई थी बिरजू महाराज ने गजल

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हर दिन की तरह पंडित बिरजू महाराज परिवार के साथ गुलमोहर पार्क स्थित कला आश्रम में थे। परिवार के सदस्य जुटे तो अंताक्षरी शुरू हो गई। काफी देर तक अंताक्षरी का दौर चला। इस दौरान बिरजू महाराज ने 'तेरी महफिल में इस अंदाज से बैठा है दीवाना जुबां खामोश हैं...' और वह हमेशा के लिए खामोश हो गए। उनकी नातिन रागिनी उनके सिर की मालिश कर रही थी कि करीब 11 बजकर 50 अचानक कंपकपी उठी और देखते ही देखते शरीर ठंडा पड़ गया। रात को 12बजकर 15 मिनट मैक्स साकेत अस्पताल लेकर पहुंचे जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वह 83वर्ष के थे अगले माह ही उनका जन्मदिन था।

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लोधी रोड स्थित शवदाह गृह पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके पुत्र दीपक महाराज और जयकिशन महाराज ने मुख्गानि दी। इस दौरान उनके पुत्र, भाई और शिष्यों ने संगीत की बंदिशें सुनाकर नम आंखों से विदाई दी। इससे पूर्व शाहजहां रोड़ स्थित आवास पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। जहां उनके परिवार के सदस्यों के साथ कथक नृत्यांगना शोभना नारायण और गायक साजन मिश्रा समेत उनके वर्षों पुराने शिष्य उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचे और अंतिम यात्रा का भी हिस्सा बने।

जब तक सूरज चांद रहेगा महाराज जी का नाम रहेगा। अंतिम यात्रा में महाराज जी अमर रहे अमर रहे के घोष के साथ विदाई दी गई। परिवार के मुताबिक वह बीते दो वर्षों से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। पिछले माह ही उनकी डायलिसिस शुरू हुई थी। बिरजू महाराज को वर्ष में 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के साथ कालिदास सम्मान भी मिला था।

नहीं पता था आखिरी बार हो रही है बात

बिरजू महाराज ने परिवार के सदस्यों के साथ तो अपना आखिरी समय बिताया वहीं अपनी बेटी अनीता महाराज से भी वीडियो कालिंग पर बात की थी। अनीता को नहीं पता था कि यह उनकी महाराज जी के साथ आखिरी बातचीत है। रोते हुए उनकी पुत्री अनीता महाराज ने बताया कि सब कुछ ठीक ही चल रहा था। महाराज जी की तबियत भी ठीक थी। रविवार रात करीब सवा ग्यारह बजे के आसपास उन्होंने वीडियो कालिंग पर बात की। लंबी बातचीत हुई थी।

सब लोगों का हाल चाल पूछे। फिर शुरू हुआ गाना-बजाना। पोतों संग अंताक्षरी खेल रहे थे। सब लोग खुश थे कि अचानक तबियत बिगड़ गई और महज दस-पन्द्रह सेेकेंड में पूरी दुनिया ही उजड़ गई। बिरजूू महाराज के पोते स्वरांश मिश्रा ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि हमने अपने परिवार के सबसे प्रिय सदस्य पंडित बिरजू जी महाराज को खो दिया। उन्होंने मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने की अपील की।


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