Delhi Weather Update: वर्ष 2100 तक दिल्ली का औसत तापमान हो जाएगा 32 डिग्री
Delhi Weather Update विश्व आर्थिक फोरम के सम्मेलन (डब्ल्यूईएफ) में पृथ्वी के भविष्य का आकलन करने वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में तापमान में रिकार्ड बढ़ोतरी होने का अंदेशा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। Delhi Weather Update: ग्लोबल वार्मिंग के शिकार भारत में दिल्ली का आने वाले दशकों में बुरा हाल होने वाला है। एक नए शोध के मुताबिक वर्ष 2100 तक तपती-जलती दिल्ली में साल के आठ महीने औसत तापमान 32 डिग्री सेल्सियस रहेगा। यह औसत तापमान में सीधे-सीधे छह डिग्री का इजाफा है। विश्व आर्थिक फोरम के सम्मेलन (डब्ल्यूईएफ) में पृथ्वी के भविष्य का आकलन करने वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका, भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में तापमान में रिकार्ड बढ़ोतरी होने का अंदेशा है। डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे भविष्य से बचा जा सकता है अगर पर्यावरण परिवर्तन के खराब प्रभाव को कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन कम किया जाए और सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल किया जाए। इसके लिए कारोबार के तौर तरीके बदलने के साथ ही सरकारों को त्वरित समाधान निकालने होंगे। ऐसे भविष्य को टालने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 2100 तक पर्यावरण परिवर्तन की रफ्तार को कम नहीं किया गया तो पश्चिमी अमेरिका में जंगलों में आग लगने की घटनाएं और भी गंभीर हो जाएंगी। इन बिगड़ते हालात का आकलन क्लाइमेट इंपैक्ट लैब, क्लाइमेट सेंट्रल और नासा की सैटेलाइट के आंकड़ों के जरिये किया गया है।
शोध में बताया गया है कि वर्ष 2100 तक विश्व के कई हिस्सों में जून से अगस्त तक औसत तापमान बढ़कर 38 डिग्री सेल्यिस तक हो जाएगा। इसके बावजूद नई दिल्ली में औसत तापमान आठ महीने 32 डिग्री सेल्सियस रहेगा।
2 साल पहले संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (आइपीसीसी) की जलवायु परिवर्तन पर जारी रिपोर्ट ने चेतावनी दी गई थी कि वैश्विक तापमान उम्मीद से अधिक तेज गति से बढ़ रहा है। कार्बन उत्सर्जन में समय रहते कटौती के लिए कदम नहीं उठाए गए तो तो इसका विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग के चलते भारत में भी नकारात्मक प्रभाव देखने के लिए मिलेगा। इस रिपोर्ट के मुताबिक, इसी तरह पृथ्वी गरम होती रही तो वर्ष 2030 और 2052 के बीच ग्लोबल वार्मिंग का स्तर बढ़कर 1.5 डिग्री तक पहुंच सकता है। मौसम विज्ञानियों की मानें तो ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने से नदियों की बाढ़ और समुद्री जलस्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों के जलमग्न होने के मामले बढ़ रहे हैं और भविष्य में भी इन विभिन्न बाढ़ रूपों का प्रकोप बढ़ने का अनुमान है।
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