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बाल मजदूरी करने वाले 31 मासूमों का प्रशासन ने किया रेस्क्यू, लाॅकडाउन के बाद दिल्ली पहुंचे थे सभी

प्रशासन की टीम ने पुरानी दिल्ली के नबी करीम इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन कर बाल मजदूरी करने वाले 31 मासूमों को छुड़ाया है। एसडीएम समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रम विभाग एनजीओ और पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की जिसके बाद मौके से 31 बालकों का रेस्क्यू किया गया।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 07:24 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 07:24 PM (IST)
बाल मजदूरी करने वाले 31 मासूमों का प्रशासन ने किया रेस्क्यू, लाॅकडाउन के बाद दिल्ली पहुंचे थे सभी
प्रशासन की टीम ने नबी करीम इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन कर 31 मासूमों को छुड़ाया। (फाइल फोटो)

राहुल सिंह, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में लंबे समय से चल रहे बाल मजदूरी के खेल का मंगलवार को प्रशासन और पुलिस की टीम ने भंडाफोड़ किया है। प्रशासन की टीम ने पुरानी दिल्ली के नबी करीम इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन कर बाल मजदूरी करने वाले 31 मासूमों को छुड़ाया है।

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बाल मजदूरी करने वाले अधिकतर बालक बिहार के सीतामढ़ी, मोतीहारी और छपरा व उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। वहीं, प्रशासन और पुलिस की टीम बालकों को बिहार और उत्तर प्रदेश से दिल्ली में आकर बाल मजदूरी कराने वाले आरोपितों की तलाश में जुटी है, जिनपर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

नबी करीम के रहने वाले स्थानीय निवासियों ने बताया कि इलाके में तमाम होटल, फैक्ट्री और अन्य उद्योगों में हजारों बाल मजदूर काम करते हैं, जिसकी लगातार स्थानीय पुलिस को शिकायत की जा चुकी है, लेकिन इसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाल में प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले की शिकायत की गई थी, जिसके बाद करोलबाग एसडीएम समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने मंगलवार सुबह श्रम विभाग, एनजीओ और पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की, जिसके बाद मौके से 31 बालकों का रेस्क्यू किया गया। 

बालकों ने बताया कि उन्हें यूपी और बिहार से काम सिखाने और रुपये देने की बात कहकर दिल्ली लाया गया था। जहां उनसे एक फैक्ट्री में स्कूल बैग और महिलाओं के पर्स बनवाए जा रहे थे। बालक कई बार फैक्ट्री के मालिकों से अपने गांव लौटने की बात कह चुके थे, लेकिन इसके बाद भी उन्हें नहीं भेजा गया। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि बालकों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं, जिसके बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, बालकों को दिल्ली लाने वाले आरोपितों की तलाश की जा रही है।

लॉकडाउन के बाद दिल्ली लाए गए थे बालक

सूत्रों ने बताया कि 31 बच्चों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें लाॅकडाउन खत्म होने के बाद दिल्ली लाया गया था। गांव से लाते वक्त उन्हें काम सिखाने की बात कही गई थी। काम सिखने की चाह में वह अपने परिवारों को छोड़कर दिल्ली आ गए। जहां उनसे पहले होटल में काम कराया गया था। लेकिन अब उनसे एक फैक्ट्री में बैग बनवाने का काम कराया गया। वहीं प्रशासन की टीम ने सभी बच्चों के परिवार के सदस्यों को उनकी जानकारी दे दी है, जिनके आने के बाद उन्हें उनके सुपुर्द किया जाएगा।

लोगों का आरोप, पुलिस की मिली भगत से चल रहा काम

स्थानीय लोगों का आरोप है कि इलाके में होटल हैं, जहां काम करने के लिए बड़ी संख्या में बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश से बालकों को लाकर काम कराया जाता है। उन्हें इसके बदले दो से तीन हजार रुपये भी दिये जाते हैं। रुपयों के लालच में बालक काम करते रहते हैं। लोगों का कहना है कि बालकों से बाल मजदूरी कराने वाले लोग पुलिस की मिली भगत के बाद ही यह काम कराते हैं। प्रशासन की यह छापेमारी से उम्मीद है कि इलाके में बाल मजदूरी का खेल बंद हो जाएगा। 

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