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आरक्षण का लाभ उठाने के लिए अस्थायी दिव्यांगता अयोग्यता नहीं: हाई कोर्ट

एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अस्थायी दिव्यांगता दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम-2016 के तहत आरक्षण का लाभ उठाने के लिए अयोग्यता नहीं है। पीठ ने दृष्टि हानि से पीड़ित एक उम्मीदवार को दिए गए प्रवेश को निरस्त करने आदेश को रद कर दिया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 07:15 AM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 07:39 AM (IST)
आरक्षण का लाभ उठाने के लिए अस्थायी दिव्यांगता अयोग्यता नहीं: हाई कोर्ट
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अस्थायी दिव्यांगता दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम-2016 के तहत आरक्षण का लाभ उठाने के लिए अयोग्यता नहीं है। न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने दृष्टि हानि से पीड़ित एक उम्मीदवार को दिए गए प्रवेश को निरस्त करने आदेश को रद कर दिया, जिसमें सुधार की संभावना थी। आइआइटी खड़गपुर में प्रवेश की मांग करने वाले एक उम्मीदवार की याचिका पर विचार करते हुए पीठ ने कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (पीडब्ल्यूडी) अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के लाभ के लिए सामाजिक कानून है और इसमें प्रथम दृष्टया या स्थायी व अस्थायी दिव्यांगता का अंतर नहीं है।

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पीठ ने कहा कि यह ध्यान दिया जा सकता है कि पीडब्ल्यूडी अधिनियम में, पीडब्ल्यूडी, पीडब्ल्यूबीडी (बेंचमार्क दिव्यांगता वाले व्यक्ति) और ''निर्दिष्ट अक्षमता'' की परिभाषा अस्थायी और स्थायी अक्षमताओं के बीच अंतर नहीं करती है। पीडब्ल्यूडी की परिभाषा, इस हद तक कि यह दीर्घकालिक हानि की आवश्यकता को शामिल करती है, स्वयं इस आवश्यकता को समाहित करती है।

वर्तमान मामले में केराटोकोनस से पीड़ित याचिकाकर्ता ने दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर पीडब्ल्यूडी श्रेणी में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। इसके तहत उसकी दोनों आंखों से संबंधित 40 प्रतिशत अस्थायी विकलांगता है। पीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए नौ नवंबर 2021 को प्रवेश निरस्त करने के संबंध में जारी पत्र को रद कर दिया। साथ ही प्रतिवादियों को आवश्यक परिणामी कदम उठाने का निर्देश भी दिया।

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास के तहत वक्फ संपत्तियों को कुछ नहीं हो रहा

वहीं, सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर चल रहे काम से वक्फ संपत्तियों के नुकसान की आशंका जताते हुए दायर की गई याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में जवाब दाखिल किया। केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में कहा कि वक्फ संपत्तियों को कुछ नहीं होने जा रही है। केंद्र की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने यह कहते हुए मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित करने को कहा कि जिन संपत्तियों को लेकर याचिका में सवाल उठाया गया है, अभी परियोजना वहां तक पहुंची भी नहीं है।

तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ संपत्तियों को कुछ नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता निश्चिंत हो सकते हैं। हम अदालत के समक्ष हैं। यह एक बहुत लंबी योजना है और हम इसके आस-पास कहीं नहीं पहुंचे हैं। पीठ ने यह कहते हुए सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी अदालत को एसजी पर पूरा भरोसा है। दिल्ली वक्फ बाेर्ड ने याचिका दायर कर कहा है कि अपनी छह संपत्तियों के संरक्षण की मांग की है। इनमें मानसिंह रोड पर मस्जिद जब्ता गंज, रेड क्रास रोड पर जामा मस्जिद, उद्योग भवन के पास मस्जिद सुनहरी बाग, मोती लाल नेहरू मार्ग के पीछे मजार सुनहरी बाग, कृषि भवन परिसर के अंदर मस्जिद और भारत के उपराष्ट्रपति के आधिकारिक आवास पर मस्जिद शामिल हैं।


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