कोरोना योद्धा की तरह काम कर रहे शिक्षकों का वेतन नहीं देना अफसोसजनक : हाई कोर्ट
एनडीएमसी ने पीठ को बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा निगमों का भुगतान नहीं होने के कारण शिक्षकों के अलावा सफाई कर्मचारी एवं डॉक्टरों का विभिन्न श्रेणी में बकाया भुगतान नहीं किया जा सका है।
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। शिक्षकों को कोरोना महामारी की ड्यूटी पर तैनात किया गया है और वे कोरोना योद्धा के समान हैं। इसके बावजूद भी मार्च माह से उनका वेतन नहीं दिया जाना अफसोस जैसी स्थिति बयां करता है। यह टिप्पणी लॉकडाउन के बाद से वेतन के लिए चक्कर काट रहे शिक्षकों के मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने की। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति एस प्रसाद की पीठ ने रिकॉर्ड पर लिया कि शिक्षक ही नहीं उत्तरी नगर निगम के सफाई कर्मचारियों और डॉक्टरों को भी उनका बकाया भुगतान नहीं किया गया। 18 जून को दिल्ली हाई कोर्ट ने एनडीएमसी को एक सप्ताह के अंदर वेतन जारी करने का आदेश दिया था।
एनडीएमसी ने पीठ को बताया कि दिल्ली सरकार द्वारा निगमों का भुगतान नहीं होने के कारण शिक्षकों के अलावा सफाई कर्मचारी एवं डॉक्टरों का विभिन्न श्रेणी में बकाया भुगतान नहीं किया जा सका है। पीठ ने रिकॉर्ड पर लिया कि न्यायिक आदेश होने के बाद दिल्ली सरकार ने मार्च महीने का वेतन जारी किया और एनडीएमसी शिक्षकों को शुक्रवार सुबह ही भुगतान किया गया।
पीठ ने उक्त जानकारी पर याचिका को स्वत: संज्ञान याचिका के रूप में बदलते हुए दिल्ली सरकार को एनडीएमसी द्वारा दी गई जानकारी पर एक सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिका पर अगली सुनवाई 29 जून को होगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान शिक्षकों की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता एचएस फूलका ने पीठ को बताया कि एनडीएमसी के अधीन 700 स्कूल में 7 हजार शिक्षक हैं। 7 हजार शिक्षकों में से 5406 शिक्षकों को एनडीएमसी के 299 स्कूलों में कोरोना ड्यूटी में लगाया गया है। जिसे दिल्ली सरकार ने जरूरतमंद लोगों के लिए राशन बनवाने के लिए लिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना ड्यूटी पर लगे शिक्षकों का भी वेतन नहीं दिया जा रहा है। अखिल दिल्ली प्रथमिक शिक्षा संघ ने एकल पीठ द्वारा 9 जून को उनकी याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दी है।
एक पीठ ने वेतन जारी करने की मांग को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ताओं ने मार्च 2020 के बाद से वेतन नहीं मिलने के खिलाफ याचिका दायर कर भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की थी। संघ ने याचिका में दलील दी कि एनडीएमसी द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे शिक्षकों का वेतन नहीं दिया जा रहा है।