तस्लीमा नसरीन लेखिका होने के साथ-साथ डॉक्टर भी हैं, जानें उनका कौन सा फैसला है चर्चा में
तस्लीमा नसरीन लेखिका होने के साथ-साथ डॉक्टर भी हैं। उन्होंने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि अंगदान से बड़ा कोई धर्म नहीं है। मानवता की सेवा के लिए यह सबसे बड़ा धर्म है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। बांग्लादेश की मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को देहदान करने का फैसला किया है। वह चाहती हैं कि उनके निधन के बाद उनका शरीर एम्स के एनाटॉमी विभाग को दान किया जाए, ताकि शोध को बढ़ावा मिल सके। इसलिए उन्होंने 22 मई को एम्स जाकर एनाटॉमी विभाग में शपथ ली है। इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल नेटवर्क पर ट्वीट करके दी है।
यहां पर बता दें कि तस्लीमा नसरीन लेखिका होने के साथ-साथ डॉक्टर भी हैं। उन्होंने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि अंगदान से बड़ा कोई धर्म नहीं है। मानवता की सेवा के लिए यह सबसे बड़ा धर्म है। एनाटॉमी विभाग ने उन्हें डोनर स्लीप जारी किया है, जिसे उन्होंने सोशल नेटवर्क पर शेयर किया और कहा, मैं निधन के बाद अपना शरीर एम्स को वैज्ञानिक रिसर्च और शिक्षण से जुड़े कार्यों के लिए दान करती हूं।
उन्होंने कहा, 'मैं मानवता की सेवा में विश्वास करती हूं। कितने ही लोगों को रोशनी, किडनी, लिवर इत्यादि की जरूरत है। इसलिए देहदान का फैसला करने के बाद उसे सोशल नेटवर्क पर शेयर किया ताकि दूसरे लोग भी जागरूक हों।'
इस ट्वीट के बाद कई लोगों ने प्रतिक्रिया देते हुए अंगदान करने की बात कही है। 'मैं किसी से जीवित रहते आंखें या अंगदान की बात तो नहीं कह रही हूं, लेकिन निधन के बाद यह शरीर मिट्टी में मिल जाना है या चिता पर जल जाएगा। वहीं अंगदान से कितने लोगों को जिदंगी मिल सकती है। डॉक्टर होने के नाते मैं समझती हूं कि चिकित्सा विज्ञान की तरक्की के लिए शोध भी बहुत जरूरी है। इससे लाखों लोगों का भला हो सकता है, इसलिए देहदान का फैसला किया।'