2020 Delhi Riots: मीडिया ट्रायल से राहत मांग रहे पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने वापस ली अर्जी
2020 Delhi Riots सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने कहा कि मीडिया ट्रायल को लेकर वह कुछ दिन पहले ही स्पेशल सेल द्वारा दर्ज दंगे के मामले में सुनवाई करते हुए आदेश कर चुकी है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मीडिया ट्रायल से राहत मांग रहे मुख्य आरोपित एवं पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने अपनी अर्जी वापस ले ली है। सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की कोर्ट ने कहा कि मीडिया ट्रायल को लेकर वह कुछ दिन पहले ही स्पेशल सेल द्वारा दर्ज दंगे के मामले में सुनवाई करते हुए आदेश कर चुकी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत ताहिर हुसैन और उसके साथी अमित गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। जिसमें दोनों पर आरोप लगाया था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन और दिल्ली में दंगा भड़काने के लिए डमी कंपनियां बनाकर अवैध तरीके से 1.10 करोड़ रुपये जुटाए थे। इस मामले में प्रसारित और प्रकाशित खबरों को लेकर ताहिर हुसैन ने आरोप लगाया था कि उसके खिलाफ द्वेषपूर्ण रवैया अपनाते हुए मीडिया ट्रायल किया जा रहा है। उसने मीडिया ट्रायल से राहत मांगने के लिए अर्जी दायर की थी। एक चैनल की खबर का वीडियो कोर्ट को पेनड्राइव में दिया था, जिसे कोर्ट ने इस मामले में संबंधित नहीं पाया था।
सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान ताहिर हुसैन के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पर दिल्ली दंगे के 11 मामले दर्ज हैं। उनको जांच एजेंसी से किसी तरह की शिकायत नहीं है। कोर्ट ने उनसे कहा कि मीडिया ट्रायल को लेकर वह पहले ही आदेश दे चुकी है। इसमें और कुछ कहने को नहीं बचा है। इस पर आरोपित ने अपनी अर्जी वापस ले ली। बता दें कि दिल्ली दंगे में नाम आने के बाद आप ने ताहिर हुसैन को पार्टी से निलंबित कर दिया था।
‘मीडिया कवर करने के लिए स्वतंत्र’
दंगे की साजिश से जुड़े मामले में स्पेशल सेल द्वारा दायर दूसरे पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के दौरान इस कोर्ट ने दो मार्च को आदेश में कहा था कि मीडिया कवर करने के लिए स्वतंत्र है। उन्हें केवल अपने दृष्टिकोण के प्रति सजग और उद्देश्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि रिपोर्टिंग करते समय कम से कम एक अस्वीकरण होना चाहिए, चाहे वह अभियोजन का हो या बचाव पक्ष का। साथ ही बताया था कि आरोपित और दोषी के बीच अंतर है। आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से पहले उसकी सटीक सामग्री की रिपोर्टिंग पर कोर्ट ने चिंता जताई थी। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि इंटरनेट मीडिया पर होने वाली रिपोर्टिंग सनसनीखेज होती है।