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Swatantrata Ke Sarthi: महिलाओं को शोषण से आजादी दिला रहीं रेशमा यासमीन

ओखला की रहने वाली मनोविज्ञानी रेशमा यासमीन की शिक्षा अलीगढ़ में हुई है। बाद में उन्होंने लंदन में मनोविज्ञान में डिप्लोमा का कोर्स किया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 11:58 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 11:58 AM (IST)
Swatantrata Ke Sarthi: महिलाओं को शोषण से आजादी दिला रहीं रेशमा यासमीन
Swatantrata Ke Sarthi: महिलाओं को शोषण से आजादी दिला रहीं रेशमा यासमीन

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ताहिरा बेगम फाउंडेशन की रेशमा यासमीन अली महिलाओं को शोषण से आजादी दिलाने में तल्लीनता से जुटी हैं। तकरीबन 15 वर्ष के सामाजिक सेवा के सफर में एक हजार से अधिक महिलाओं की दोयम जिंदगी में आत्मविश्वास का संबल दिया है, जिसके सहारे संपर्क में आई महिलाओं के जीवन में आमूलचूल बदलाव आया है। 

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ओखला की रहने वाली मनोविज्ञानी रेशमा यासमीन की शिक्षा अलीगढ़ में हुई है। बाद में उन्होंने लंदन में मनोविज्ञान में डिप्लोमा का कोर्स किया। बतौर पेशेवर वे पीड़ित महिलाओं के संपर्क में आईं तो उनकी तकलीफें और दोयम जिंदगी देखकर उनका दिल पसीजा और फिर वह इनका मार्गदर्शक बनने लगीं। वॉलंटियर्स की एक पूरी टीम भी साथ है, जिसमें अधिवक्ता, शिक्षाविद व आर्किटेक्ट समेत अन्य हैं जो उनके साथ पीड़ित महिलाओं की मदद करने के लिए आगे आते हैं।

वे बताती हैं कि घर की दहलीज के भीतर महिलाओं का शोषण कम नहीं है। खासकर, सीलमपुर, ओखला व जामिया जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ये मामले कुछ ज्यादा हैं, जिसमें ससुराल पक्ष के अन्य सदस्यों का शारीरिक संबंध बनाना। इस कुकृत्य को पति व सास की मौन स्वीकृति, बाहरी सदस्यों के शोषण पर भी चुप रहने की धमकी जैसे मामले आते हैं। इसी तरह विवाहेत्तर संबंध और तीन तलाक के मामले भी हैं।

महिलाओं की समस्याएं दूर करती हैं रेशमा यासमीन

ऐसे मामलों में न सिर्फ महिलाओं को कानूनी अधिकार की जरूरत होती है, बल्कि उन्हें मानसिक व आर्थिक आघात से भी उबारना होता है। बुजुर्ग महिलाओं को बोझ मानकर उनको बेघर कर देने के मामले भी आते हैं, जिसमें वे उनकी प्रहरी बनने की कोशिश करती हैं। हालांकि, ऐसे मामले बहुत हैं और उनके पास संसाधन भी कम हैं। फिर भी वे हर किसी तक पहुंचने की कोशिश करती हैं।

रेशमा यासमीन न सिर्फ उनकी कानूनी लड़ाई लड़ने के साथ ही उन्हें ससुराल पक्ष से आर्थिक अधिकार दिलाने का काम करती हैं, बल्कि उन्हें मानसिक आघात से हुए अवसाद से भी बाहर निकालने का प्रयास करने के साथ ही चिकित्सकीय सहायता भी पहुंचाती हैं। इसी तरह का मामला तीन तलाक के जरिये महिलाओं के शोषण का है। वे कहती हैं कि तीन तलाक पर कानून बनने के बाद इसमें कमी आई है।


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