Solar Eclipse 2020: दिल्ली-NCR में दिखा पूर्ण सूर्य ग्रहण, दिन में ही हुआ अंधेरा
Surya Grahan 2020ः दिल्ली में सूर्य ग्रहण अब खत्म हो गया है। नेहरू तारामंडल पहुंचकर लोगों ने सूर्य ग्रहण की अद्भुत तस्वीरें देखी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली-एनसीआर में सूर्य ग्रहण अब खत्म हो गया है। नेहरू तारामंडल से लोग सूर्यग्रहण का अद्भुत नजारा देखा। यह सूर्य ग्रहण पूरे भारत के साथ ही यूरोप, हिंद महासागर, प्रशात महासागर, मध्य एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर भाग में भी दिखाई दिया।
सुबह 10 बजकर 20 से शुरू हुआ सूर्य ग्रहण तीन बजकर 5 मिनट तक दिखाई दिया। दोपहर 12 बजकर 10 दिन पर पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई दिया।
सूर्य ग्रहण की वजह से चांदनी चौक स्थित श्री शिव नवग्रह मंदिर समेत अन्य मंदिर बंद हैं। जबकि पूर्वी दिल्ली में ब्रह्नपुरी स्थित इस्लामिया मस्जिद में सूर्य ग्रहण को लेकर विशेष नमाज पढ़ी गई।
वहीं, दक्षिणी दिल्ली में स्थित कालका पीठ के पीठाधीश्वर महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि दिल्ली में सूर्य ग्रहण रविवार सुबह 10:20 से शुरू होकर दोपहर में एक बजकर 48 मिनट और तीस सेकेंड तक रहा। इसका सूतक 12 घंटे पहले शनिवार रात के 10:20 से शुरू हो गया था।
दिन में छाया अंधेरा
सूर्य ग्रहण कई मामलों में खास रहा। इससे पहले इस तरह का अद्भूत दृश्य साल 1996 में देखने को मिला था। रविवार दोपहर पूर्ण सूर्यग्रहण में ऐसी स्थिति हो गई कि दिन में ही अंधेरा छा गया। दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित नेहरू तारामंडल की निदेशक रत्ना श्री ने लोगों से अपील की थी कि वह सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से न देखें। सूर्य की किरणों से बचाव वाले चश्में के साथ देखें।
क्या करें क्या न करें
महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को सब्जी काटने से लेकर रसोई और घर का कोई काम नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही सूर्य ग्रहण से पहले या बाद में ही सभी लोगों को कार्य करना चाहिए। सूर्य ग्रहण के समय सभी लोग भगवान के नाम का जाप करें, वहीं इसे नंगी आखों से कोई न देखे।
ये भी पढ़ेंः Delhi Solar Eclipse 2020: दिल्ली-NCR में दिखा सूर्य ग्रहण का अद्भुत नजारा, देखें तस्वीरें
महंत ने बताया कि सूर्यग्रहण के अवसर पर कालकाजी मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खुले रहे। उन्होंने बताया कि विश्व का एकमात्र मा कालका का यही मंदिर है जहा चाहे सूर्यग्रहण हो या चंद्रग्रहण मां अपने भक्तों को पुत्ररूपी दोनों देवों का आश्रय देकर ग्रहणकाल में उनकी रक्षा करती हैं। मां कालका स्वयं काल की स्वामिनी हैं। ऐसे में वे अपने पुत्र सूर्यदेव को विपदा में अकेला कैसे छोड़ सकती हैं। सूर्यदेव के आश्रय के साथ यदि भक्त मंदिर आकर मा कालका के दर्शन करते हैं तो मा स्वयं उनकी भी रक्षा करती हैं।
Solar Eclipse June 2020: दिल्ली में अधिक समय तक दिखेगा सूर्यग्रहण, कई मामलों में होगा खास