15 मिनट में सर्जरी, अगले दिन अस्पताल से छुट्टी; जानिए कैसे साइंस ने दी यह सुविधा
लेप्रोस्कोपी तकनीक के बाद अब थ्रीडी विजन तकनीक युक्त नेक्स्ट जेनरेशन रोबोटिक मशीन से गाल ब्लैडर हार्निया मोटापे व लिवर से संबंधित बीमारियों में सर्जरी ज्यादा आसान व सटीक हो गई है और सर्जरी में लगने वाला समय भी घट गया है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। लेप्रोस्कोपी तकनीक के बाद अब थ्रीडी विजन तकनीक युक्त नेक्स्ट जेनरेशन रोबोटिक मशीन से गाल ब्लैडर, हार्निया, मोटापे व लिवर से संबंधित बीमारियों में सर्जरी ज्यादा आसान व सटीक हो गई है और सर्जरी में लगने वाला समय भी घट गया है। मरीज भी बीमारी से जल्दी उबरकर दोबारा से अपना कामकाज शुरू करने में सक्षम हो जाते हैं। साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में इस रोबोटिक मशीन से 10 से 15 मिनट में गाल ब्लैडर की सर्जरी हो जाती है और अगले दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
मैक्स अस्पताल ने नेक्स्ट जेनरेशन की वर्सियस नामक रोबोटिक मशीन यूनाइटेड किंगडम (यूके) से लाकर स्थापित की है। यह सबसे नवीनतम रोबोटिक मशीन है। इसमें थ्रीडी विजन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। मैक्स अस्पताल के लेप्रोस्कोपी, एंडोस्कोपी और बैरियाटिक सर्जरी संस्थान के चेयरमैन पद्मश्री डा. प्रदीप चौबे के नेतृत्व में महज 10 सप्ताह में 120 से ज्यादा मरीजों की रोबोटिक सर्जरी हो चुकी है। इनमें ज्यादातर गाल ब्लाडर में पथरी व हर्निया की बीमारी से पीड़ित मरीज शामिल हैं। उन्होंने बताया कि लेप्रोस्कोपी सर्जरी में टूडी विजन तकनीक होती है। थ्रीडी विजन तकनीक में मरीज के जिस हिस्से की सर्जरी करनी होती है, वह ज्यादा साफ व बड़ा दिखाई देता है, इसलिए सर्जरी सटीक होती है। पहले की रोबोटिक मशीन से ज्यादातर प्रोस्टेट कैंसर व यूरोलाजी की बीमारियों की सर्जरी होती थी।
सर्जरी करते वक्त गहराई का अंदाजा ज्यादा स्पष्ट: डा. चौबे ने बताया कि रोबोटिक सर्जरी के दौरान जिस हिस्से को काटना व क्लिप करना होता है, वहां गहराई का अंदाजा ज्यादा स्पष्ट होता है। इस रोबोटिक मशीन में लगे आर्म्स में वी-रिस्ट तकनीक के कारण सर्जरी करते समय ज्यादा लचीलापन मिलता है। सामान्य सर्जरी में हाथ को ज्यादा घुमा पाना संभव नहीं हो पाता। टूडी के मुकाबले थ्रीडी तकनीक की मदद से सर्जरी जल्दी हो जाती है, क्योंकि थ्रीडी विजन से सर्जरी में कम समय लगता है। गाल ब्लैडर की सर्जरी में पांच मिलीमीटर के तीन बहुत छोटे-छोटे छेद कर रोबोटिक सर्जरी की जाती है। इस सर्जरी में महज 10 से 15 मिनट समय लगता है, जबकि ओपन सर्जरी में डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है।
डा. प्रदीप चौबे लेप्रोस्कोपी सर्जरी में अग्रणी रहे हैं। 30 साल से वह इसे बढ़ावा देते रहे हैं। उनके नेतृत्व में उनकी टीम ने 90 हजार से ज्यादा लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की हैं। ओपन सर्जरी में मरीज को कई दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ता था। लेप्रोस्कोपी तकनीक से सर्जरी के बाद संक्रमण के मामले बहुत कम हो गए हैं। इसी क्रम में अब नवीनतम रोबोटिक मशीन की मदद से सर्जरी के बाद मरीज और भी जल्द ठीक होंगे और सर्जरी ज्यादा सुरक्षित होगी।