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रविदास मंदिर मामला : सुप्रीम कोर्ट दूसरी बेंच करेगी कांग्रेस नेता की याचिका पर सुनवाई

हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मंत्री प्रदीप जैन ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की है। इस पर सोमवार को सुनवाई हुई।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 02:56 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 01:12 PM (IST)
रविदास मंदिर मामला : सुप्रीम कोर्ट दूसरी बेंच करेगी कांग्रेस नेता की याचिका पर सुनवाई
रविदास मंदिर मामला : सुप्रीम कोर्ट दूसरी बेंच करेगी कांग्रेस नेता की याचिका पर सुनवाई

नई दिल्ली, एएनआइ। Delhi's Sant Ravidas Temple demolition case: देश की राजधानी दिल्ली के तुगलकाबाद में संत रविदास मंदिर तोड़े जाने का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दरअसल, हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व मंत्री प्रदीप जैन ने सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की है। इस पर अब सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें मामला अन्य बेंच को सौंप दिया गया, जो इसकी सुनवाई करेगी।

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गौरतलब  है कि दोनों नेताओं की याचिका में कहा गया है कि पूजा का अधिकार संवैधानिक अधिकार है, ऐसे में मंदिर का दोबारा निर्माण करने के साथ पूजा करने की अनुमति दी जाए।

गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय आवासीय और शहरी विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी को तुगलकाबाद स्थित ढहाये गये संत रविदास मंदिर की जमीन को लेकर बुधवार को एक पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री ने हरदीप सिंह पुरी से अनुरोध किया है कि केंद्र जमीन को, जो कि इस समय वन विभाग की है, मंदिर बनाने के लिए डि-नोटिफाई करे।

अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है, 'दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 10 अगस्त, 2019 को तुगलकाबाद गांव में संत रविदास जी का मंदिर ढहा दिया था। इससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है। इस मंदिर को ढहाये जाने के बाद संत रविदास जी के अनुयायी दुनिया भर में और दिल्ली में भारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संत रविदास जी न केवल दलित समाज के बल्कि सभी समुदायों के श्रद्धेय संत थे। पिछले पांच शताब्दियों से संत रविदास जी की शिक्षाएं हर पीढ़ी को सशक्त बना रही हैं और दिशा दिखा रही हैं'।

मंदिर को दोबारा स्थापित करने की संभावनाएं बाकी- केजरीवाल

केजरीवाल ने अपने पत्र में लिखा है कि हालांकि मंदिर और अन्य संपत्तियां ढहा दी गई हैं लेकिन अब भी मंदिर को दोबारा स्थापित करने की संभावनाएं बाकी हैं। उन्होंने लिखा है, 'मुझे बताया गया है कि मंदिर को दोबारा स्थापित करने और इस अन्याय को ठीक करने का अभी भी अवसर है। जनता की भावनाओं के अनुरूप कार्य करने के लिए डीडीए अपने विवेक का इस्तेमाल कर सकती है'।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में आगे लिखा है, 'चूंकि जमीन पर डीडीए का स्वामित्व है और केवल केंद्र ही जमीन का डिनोटिफिकेशन कर सकता है। ये वन विभाग की जमीन है और डीडीए का नियंत्रण है। जमीन के बदलाव को नोटिफाई करने के लिए दिल्ली सरकार के जरिये डीडीए को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने की जरूरत होगी'।

मुख्यमंत्री ने दिया हरदीप सिंह पुरी को आश्वासन

मुख्यमंत्री ने हरदीप सिंह पुरी को आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार जमीन को डि-नोटिफाई करने के प्रस्ताव पर तय समय सीमा के भीतर काम करेगी। इस मामले में दिल्ली के सोशल वेलफेयर मिनिस्टर राजेंद्र पाल गौतम पहले ही डीडीए के वाइस चेयरमैन को पत्र लिख चुके हैं। अपने पत्र में श्री गौतम ने कहा था कि जिस जमीन पर संत रविदास मंदिर था, उस जमीन को डि-नोटिफाई करने का प्रस्ताव डीडीए शुरू करे। पत्र के अलावा श्री राजेंद्र पाल गौतम ने डीडीए के वाइस चेयरमैन से टेलीफोन पर भी बातचीत की थी लेकिन अब तक उन्हें अपने पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है।

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