आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जेपी मोर्गन को 140 करोड़ एसक्रो खाते में डालने के दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने जेपी मोर्गन को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कुर्क बैंक खातों से ब्याज सहित 140 करोड़ रुपये यूको बैंक में खोले गये एस्क्रो खाते में डालने का निर्देश दिया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मोर्गन को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कुर्क बैंक खातों से ब्याज सहित 140 करोड़ रुपये यूको बैंक में खोले गये 'एस्क्रो' खाते में डालने का निर्देश दिया। कंपनी पर आम्रपाली समूह के मकान खरीददारों के पैसे का कथित रूप से हेरफेर करने और दूसरे कामों में उपयोग करने का आरोप है। 'एस्क्रो' खाता अस्थायी तौर पर पैसा सुरक्षित रखने के लिए अलग से किसी तीसरे पक्ष के पास खोला जाता है।
शीर्ष अदालत ने तीन जून को जेपी मोर्गन को 140 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था। मामले में पिछले साल के आदेश और फोरेंसिक ऑडिटरों की रिपोर्ट के मुताबिक नियमों की अनदेखी कर 140 करोड़ रुपये की कथित हेराफेारी की गई। कोर्ट ने कहा था कि धन का उपयोग बंद पड़ी कंपनी की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने में किया जाएगा।
न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ ने मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये करते हुए कहा कि जेपी मोर्गन के पैसे वापसी का कोई भी दावा उसके खिलाफ दायर मनी लांड्रिंग-रोधी कानून (पीएमएलए) मामले में अंतिम आदेश पर निर्भर करेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता और अदालत की ओर से आम्रपाली समूह की संपत्ति के लिये रिसीवर नियुक्त किए गए आर वेंकटरमानी ने पीठ के यूको बैंक के साथ बैठक के बारे में सूचना दी।
बैंक ने उनसे कहा कि वह आरबीआई के कुछ उपबंधों के कारण अनबिके मकानों को गिरवी रखकर अटकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिये कर्ज देने में असमर्थ है। पीठ ने यूको बैंक से वेंकटरमानी के साथ मामले पर काम करने को कहा। पीठ ने यह पूछा कि क्या वह एसबीआइ कैप वेंचर्स के साथ जुड़ सकती है। एसबीआइ कैप वेंचर्स रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिये सरकार प्रायोजित दबाव वाले कोष का प्रबंधन कर रही है और विशेष उद्देश्यीय इकाई (एसपीवी) के जरिये अटकी पड़ी परियोजनाओं को वित्त उपलब्ध कराने पर सहमत हुई है।
इससे पहले, यूको बैंक ने न्यायालय के रिसीवर के माध्यम से कहा था कि वह बिना बिके 5,221 इकाइयों को गिरवी रखकर 2,000 करोड़ रुपये के बराबर कोष उपलब्ध करा सकता है। एसबीआइ कैप वेंचर्स की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ को अदालत के रिसीवर के साथ बैठक के बारे सूचित किया और कहा कि वे तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं तथा तीन सप्ताह में परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये कार्य योजना तैयार करने की बात कही।
एनबीसीसी की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उन्होंने कुछ अटकी पड़ी परियोजनाओं के लिये निविदा जारी की लेकिन सभी परियोजनाओं के लिये करीब 700 करोड़ रुपये की नकदी की जरूरत है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है।