लॉकडाउन के दौरान 10 बच्चों का सफल लिवर प्रत्यारोपण, मददगार बने बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद
फिलीपींस और नेपाल के दूतावासों की मदद से वहां के बच्चों को भारत लाया गया और धर्मार्थ संगठनों ने उपचार पर आने वाले खर्च का भुगतान किया। वहीं अभिनेता सोनू सूद ने इन बच्चों के लिए फ्लाइट की व्यवस्था की।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लॉकडाउन के दौरान साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलटी अस्पताल में पिछले तीन महीने के दौरान 10 बच्चों में सफलतापूर्वक लिवर प्रत्यारोपण को अंजाम दिया गया। इन बच्चों की उम्र तीन माह से लेकर तीन साल के बीच है। इनमें से छह बच्चे फिलीपींस से एक विशेष फ्लाइट द्वारा पहुंचे, जबकि एक बच्चे को नेपाल से लाया गया। वहीं शेष तीन बच्चे देश के विभिन्न हिस्सों के हैं। फिलीपींस और नेपाल के दूतावासों की मदद से वहां के बच्चों को भारत लाया गया और धर्मार्थ संगठनों ने उपचार पर आने वाले खर्च का भुगतान किया। वहीं, अभिनेता सोनू सूद ने इन बच्चों के लिए फ्लाइट की व्यवस्था की। अस्पताल में लिवर प्रत्यारोपण विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुभाष गुप्ता ने कहा कि लिवर की समस्या से ग्रस्त बच्चों को सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके खुद के देश में लिवर प्रत्यारोपण की तकनीकें उपलब्ध नहीं थीं।
इन बच्चों के माता-पिता को आपातकालीन मेडिकल वीजा प्राप्त करने तथा लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए कई बाधाओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अच्छी बात यह रही कि इन बच्चों में सफलतापूर्वक लिवर प्रत्यारोपण हुआ और इन्हें किसी तरह का संक्रमण नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि ज्यादातर बच्चों के लिए सर्जरी तकनीकी रूप से काफी चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि प्रत्यारोपण में देरी की वजह से इन बच्चों में लिवर फेल्योर की स्थिति काफी बढ़ चुकी थी। साथ ही उनमें संक्रमण का भी खतरा था। एक बच्चे को प्रत्यारोपण के बाद वेंटिलेशन, ट्रेकियोस्टोमी और डायलिसिस की जरूरत पड़ी। लेकिन, उस बच्चे ने जीवित रहने के संघर्ष में हार नहीं मानी और आखिरकार वह दोबारा जीवन पाने में सफल रहा।
जिन लोगों को तत्काल प्रत्यारोपण की जरूरत है और वो कोविड संक्रमण के डर से अस्पताल आने से हिचकिचा रहे हैं, ऐसे मरीजों के लिए डॉ. गुप्ता की सलाह है कि वे जीवन रक्षक सर्जरी को स्थगित या उसमें विलंब न करें, क्योंकि अस्पताल कोविड संक्रमण की रोकथाम के लिए अत्यधिक सावधानी बरत रहे हैं। इन सभी रोगियों को कड़ी स्क्री¨नग प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। वहीं कोरोना संक्रमित मरीजों को पूरी सख्ती के साथ अलग रखा जाता है ताकि संक्रमण फैलने की संभावना पूरी तरह से खत्म की जा सके।
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