सक्सेस मंत्रा: बाधाओं से जूझ कर बढ़ते हैं आगे, जिंदगी में जोखिम लेने से डरे नहीं
कारोबार में नाकामियां उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। अंकिता के पास भी ऐसे अनुभवों की कमी नहीं रही। वह कहती हैं‘पहले ब्रांड्स को कनविंस करने में मुश्किल आती थी। यहां तक कि कर्मचारियों को भी कंपनी के विजन में विश्वास दिलाने में समय लगा।
नई दिल्ली, अंशु सिंह। देश की लोकप्रिय कैशबैक एवं कूपन साइट है गो पैसा डाट काम, जो आनलाइन खरीदारी (ई-कामर्स, ट्रैवल संबंधी एवं अन्य) पर अतिरिक्त कैशबैक आफर करती है यानी कंपनी आनलाइन ब्रांड्स से मिलने वाले कमीशन का 80 से 90 फीसद कैशबैक के रूप में सीधे ग्राहकों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देती है। इस प्लेटफार्म से एक हजार से अधिक ब्रांड्स जुड़े हैं, जिनमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, अजियो, वनएमजी, मेकमाई टिप, मामाअर्थ, मैन कंपनी शामिल हैं। अब तक इसएप के पांच लाख से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं। कंपनी की सह-संस्थापक एवं मार्केटिंग हेड अंकिता जैन कहती हैं कि जब हम कोई नई शुरुआत करते हैं, तो रास्ते में बहुत सारी बाधाएं आती हैं। उन्हें सकारात्मक रूप में लेना चाहिए, क्योंकि वही एक दिन सफलता की सीढ़ी बनती है। इन दिनों महामारी के दौरान भी हमें नये सिरे से अपनी रणनीति पर काम करना पड़ा। इसलिए युवाओं से कहना चाहूंगी कि जोखिम से डरे नहीं।
अंकिता सूरत (गुजरात) में जन्मीं और पली-बढ़ी हैं। संयुक्त परिवार था इनका। दादी चाहती थीं कि शादी हो जाए और वह अपने घर की जिम्मेदारी संभालें। इस दौरान इन्होंने वीएनएसजी यूनिवर्सटिी से मार्केटिंग में एमबीए किया। हालांकि, वह रेडियो जाकी बनना चाहती थीं। पढ़ाई के साथ-साथ कई रेडियो स्टेशंस पर अपने सपने को पूरा करने की कोशिश भी की। पहले इंटर्न के रूप में काम किया और फिर एक एफएम रेडियो में रेडियो जाकी भी बनीं। अंकिता बताती हैं, ‘मुङो अपने सपने को पूरा करने का अवसर मिला। लेकिन कुछ अपना करने, नया बनाने का आकर्षण भी हमेशा से रहा है। इसी ने उद्यमिता की ओर जाने के लिए प्रेरित किया, जो शादी के बाद संभव हो सका। मैंने अपने पति अमन (जिनकी फाइनेंस पृष्ठभूमि है) के साथ कुछ आइडियाज पर विचार-विमर्श किया। हमने देखा था कि भारतीय कैसे बचत को लेकर गंभीर होते हैं। लेकिन तब देश में कैशबैक का कांसेप्ट नहीं आया था। अमन ने ब्रिटेन में इस पर काम किया था और फिर 2012 में ‘गोपैसा’ की शुरुआत हुई।’
कठिन रहे शुरुआती दौर: शुरुआती दो साल अंकिता एवं इनकी टीम के लिए बेहद कठिन रहे। वह कहती हैं, ‘मैं सिर्फ 23 वर्ष की थी। लोग मुङो गंभीरता से नहीं लेते थे। मुङो काफी मेहनत करनी पड़ी। हालांकि समय के साथ अब यह मार्केट ग्रो कर रहा है। रोजाना दो से तीन हजार यूजर्स हमारे प्लेटफार्म से जुड़ते हैं। विगत वर्षो में 50 करोड़ रुपये से अधिक का कैशबैक दिया है। कई शीर्ष आनलाइन रिटेलर्स का दावा है कि इससे उनके बिजनेस को 12 से 20 फीसदी तक का फायदा हुआ है।’ अंकिता इंटरनेट मीडिया, डिजिटल मार्केटिंग की मदद से कई सफल मार्केटिंग अभियान चला चुकी हैं, जिसका फायदा कंपनी को हुआ है और वह अपनी एक पैठ बना सका है।
छोटे शहरों में भरा है टैलेंट: अंकिता की मानें, तो अब तक के सफर में इन्होंने यही सीखा है कि बड़े संस्थानों की डिग्री वालों की नियुक्ति के पीछे न भागें। टियर 2 एवं 3 शहरों में अच्छी योग्यता रखने वाले बहुतेरे काबिल युवा हैं, जिनमें न सिर्फ जुनून है, बल्कि आगे बढ़कर अपने लक्ष्य को हासिल करने की भूख भी है। हमारे सबसे वरिष्ठ टेक सहयोगी किसी शीर्ष संस्थान से नहीं हैं, लेकिन वे अपनी विशेषज्ञता वाले क्षेत्र में किसी के साथ भी प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, उन्हें परास्त कर सकते हैं। कह सकते हैं कि मेरी टीम, मेरी सबसे बड़ी मोटिवेशन है, जो निरंतर मुङो सहयोग देती है। मुङो बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करती है, ताकि हम साथ में विकास करें और नई ऊंचाइयों को छू सकें।
जुनून से मिलती है सफलता
कारोबार में नाकामियां, उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। अंकिता के पास भी ऐसे अनुभवों की कमी नहीं रही। वह कहती हैं,‘पहले ब्रांड्स को कनविंस करने में मुश्किल आती थी। यहां तक कि कर्मचारियों को भी कंपनी के विजन में विश्वास दिलाने में समय लगा। लेकिन मैंने कभी किसी काम को अधूरा नहीं छोड़ा, क्योंकि खुद से ही एक अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर स्टार्टअप शुरू करने का निर्णय लिया था। अभी भी मुश्किल वक्त में कई बार पीछे हटने का खयाल आ जाता है,लेकिन कुछ करने का जुनून थामे रखता है और मैं आगे बढ़ती रहती हूं।’ अंकिता का मानना है कि एक उद्यमी को अपनी कमियों एवं गलतियों से सबक लेते हुए आगे बढ़ना होता है।