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Parakram Diwas 2021: लालकिला की बावली में कैद रहे थे नेताजी की फौज के तीन सैन्य अधिकारी

Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 लालकिला वह स्मारक है जहां नेताजी की फौज के तीन सैन्य अधिकारी कैद रहे थे इन्होंने अंग्रेजों से वगावत की थी। यहां कोर्ट लगी थी और यहां उन पर कोर्टमार्शल की कार्रवाई शुरू हुई थी।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 05:19 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 05:34 PM (IST)
Parakram Diwas 2021: लालकिला की बावली में कैद रहे थे नेताजी की फौज के तीन सैन्य अधिकारी
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फाइल फोटो

नई दिल्ली [वी.के शुक्ला]। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 23 जनवरी को आ रही 125 जयंती को भारत सरकार ने पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है। इस दिन देशभर में कार्यक्रम होंगे। हम बताने जा रहे हैं कि दिल्ली का लालकिला भी नेताजी से किसी न किसी न किसी रूप में जुड़ा रहा है। लालकिला वह स्मारक है जहां नेताजी की फौज के तीन सैन्य अधिकारी कैद रहे थे, इन्होंने अंग्रेजों से वगावत की थी। यहां कोर्ट लगी थी और यहां उन पर कोर्टमार्शल की कार्रवाई शुरू हुई थी। मगर उस समय के नामी वकील और बाद में देश के पहले प्रधानमंत्री बने पं. जवाहर लाल नेहरू जैसे लोगों ने इन तीनों सैन्य अधिकारियों की पैरवी की थी, तीनों सैन्य अधिकारियों को कोर्ट ने छोड़ दिया गया था।

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इस बावली को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है कि इसे लालकिला के साथ बनाया गया था या फिर लालकिला से पहले की बनी है। इसके इतिहास को लेकर शुरू से ही विवाद रहा है। क्योंकि लालकिला के स्मारकों के बारे में इस बावली का जिक्र नहीं है। मगर यह बात हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) भी मान रहा है कि यह एक महत्वपूर्ण बावली है। मगर देशवासियों के लिए यह बावली इसलिए अधिक महत्वपूर्ण है कि इस बावली को स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाने वाले तीन वीर सैनिकों को रखा गया था। सुभाष चंद्र बोस के साथ कंधे से कधे मिलाकर चलने वाले तीन स्वतंत्रता सेनानी इस बावली में कैद करके रखे गए थे।

लालकिला के अंदर स्थित इस बावली पर लंबे समय से ताला लगा था और पर्यटकों का वहां तक जाना मना था। मगर एएसआइ ने अब इसके नजदीक तक जाने के लिए पर्यटकों को इजाजत दे दी है। पर्यटक अब इसके नजदीक तक जा सकते हैं। एएसआइ से जुडे़ सूत्रों का कहना है कि बावली के जिस भाग को स्वतंत्रता सेनानियों के लिए जेल बनाया गया था। इस भाग को पर्यटकों को दिखाने पर विचार किया जा रहा है। मगर मुख्य समस्या सुरक्षा व्यवस्था को लेकर है। एएसआइ के पास कर्मचारियों की कमी है और जेल के आगे वाला भाग खतरनाक है। बावली के अंदर बनी जेल को दिखाने के लिए खतरनाक भाग को बंद करना होगा या फिर पर्यटकों को रोकने के लिए उस भाग में कर्मचारी लगाने होंगे। मगर एएसआइ में यह बात तेजी से उठ रही है कि इसे पर्यटकों के लिए खोला जाना चाहिए।

ज्ञात हो कि लालकिला में प्रवेश करने के बाद छत्ता बाजार से जैसे ही आप आगे पहुंचते हैं। बाई ओर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय है। इसी रास्ते पर थोड़ा आगे जाकर दाहिनी ओर बावली है। इसी बावली के अंदर जेल बनी है। अंग्रेजों के खिलाफ बगावत कर ब्रिटिश आर्मी से लड़ाई के दौरान बर्मा में जनरल शाहनवाज खान और उनके दल को ब्रिटिश आर्मी ने 1945 में बंदी बना लिया था। नवंबर 1946 में मेजर जनरल शाहनवाज खान, कर्नल प्रेम सहगल और कर्नल गुरुबक्श सिंह को इसी जेल में रखा गया था। जिन पर अंग्रेजी हकूमत ने मुकदमा चलाया था। लेकिन भारी जनदबाव और समर्थन के चलते ब्रिटिश आर्मी के जनरल आक्निलेक को न चाहते हुए भी आजाद हिंद फौज के इन अफसरों को अर्थदंड का जुर्माना लगाकर छोड़ने का विवश होना पड़ा था।

कुछ साल पहले तक लालकिला के एक संग्रहालय में उस कोर्ट में वह सीन उपलब्ध था, जिसमें उस समय की कोर्ट का दृश्य दर्शाया गया था। उसमें कैदी के रूप में तीनों सैन्य अधिकारियों को दिखाया गया था। वकीलों के पैनल में पं. जवाहर लाल नेहरू को भी दिखाया गया था। मगर पुराने संग्रहालय हटाए जाने के बाद कुछ साल पहले इसे हटा लिया गया था।

लालकिला में बनाया गया है सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज संग्रहालय

दो साल पहले 23 जनवरी 2019 को लालकिला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो चार संग्रहालयों का शुभारंभ किया था। उसमें एक संग्रहालय नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी आजाद हिंद फौज संग्रहालय पर आधारित है। यह संग्रहालय उसी इमारत में बनाया गया है, जिसमें आजाद हिंद फौज के तीनों सैन्य अधिकारियों पर मुकदमा चलाया गया था।

इस संग्रहालय में वह कुर्सी मौजूद है जो नेताजी की है। इसके अलावा नेताजी की टोपी भी मौजूद है। इस टोपी को प्रधानमंत्री को भेंट किया गया था, जिसे उन्होंने इस संग्रहालय को समर्पित कर दिया। इसके अलावा नेताजी से जुड़ी तमाम यादें इस संग्रहालय में माैजूद हैं। जिसमें उनकी तलवार, पदक और आजाद हिंद फौज की वर्दी शामिल है।

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