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Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: आजाद हिंद ग्राम में नेताजी ने दिया था अपना आखिरी भाषण

Subhash Chandra Bose Jayanti 2021 नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादों से रचा बसा है दिल्ली का आजाद हिंद ग्राम। मुंडका के टीकरी कलां स्थित इसी स्थान पर नेताजी ने अपने जीवन का आखिरी भाषण 1944 में दिया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 08:10 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 09:40 AM (IST)
Subhash Chandra Bose Jayanti 2021: आजाद हिंद ग्राम में नेताजी ने दिया था अपना आखिरी भाषण
आजाद हिंद ग्राम आज भी ऐतिहासिक स्मारक के रूप में जाना जाता है।

नई दिल्ली, शिप्रा सुमन। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देने वाले वीर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादों से रचा बसा है दिल्ली का आजाद हिंद ग्राम। मुंडका के टीकरी कलां स्थित इसी स्थान पर नेताजी ने अपने जीवन का आखिरी भाषण 1944 में दिया था। आजादी के संघर्ष के प्रतीक के तौर पर निर्मित यह आजाद हिंद ग्राम आज भी ऐतिहासिक स्मारक के रूप में जाना जाता है। स्मारक में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजादी संग्राम से संबंधित तमाम घटनाओं को चित्रित व लिखित रूप में संग्रहित किया गया है।

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कभी सैलानियों से गुलजार रहने वाला यह पर्यटक स्थल आज देखरेख की कमी झेल रहा है। यही कारण है कि आज आजाद हिंद ग्राम में पहुंचने वाले सैलानियों की तादाद कम होती जा रही है। नेताजी के बलिदान को देखते हुए सरकार ने उनकी 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है। तो अब यह उम्मीद जगी है कि दिल्ली के आजाद हिंद ग्राम को विकास की नई राह मिलेगी।

नेताजी ने दिया था अंतिम भाषण

ऐसे बताया जाता है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने आजादी के आंदोलन के दौरान वर्ष 1944 में कथित तौर पर विमान हादसे के शिकार होने से पूर्व आखिरी भाषण यहीं दिया था। उनके भाषण को सुनने के बाद आसपास के गांव की महिलाएं इतनी प्रभावित हो गई थी कि उन्होंने अपने घरों से गहने व कीमती वस्तुएं लाकर नेताजी को दे दिया था ताकि भारत माता को ब्रिटिश हुकूमत की जंजीरों से मुक्त करा सकें।

गांव के निवासी व बलवान सिंह के अनुसार नेताजी ने पराधीन भारतवासियों को आजादी के लिए सभी धर्म व प्रांतीय विचारधारा से ऊपर उठकर एकजुट होने के लिए आह्वान किया था। आज भले ही देश को आजाद हुए 72 साल हो चुके हैं, लेकिन आजादी के संघर्ष में नेताजी का जो योगदान रहा है, वह आज भी हमें गौरवान्वित महसूस कराता है। नेताजी की इन्हीं गौरव गाथाओं को सहेजे आजाद हिन्द ग्राम स्मारक आज भी पर्यटकों को उनकी महत्वपूर्ण घटनाओं से रूबरू करा रहा है।

स्मारक में नेताजी से जुड़ी यादें

दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा ने वर्ष 1998 में नेताजी की याद में छह एकड़ जमीन पर आजाद हिंद ग्राम के निर्माण कार्य की आधारशिला रखीं थी। योजना के तहत स्मारक में नेताजी के जीवन पर आधारित फिल्मों को दिखाने के लिए एंफीथियेटर, सूचना केंद्र, बगीचा, सैलानियों की सुविधा के लिए कार्यालय कक्ष का निर्माण कराया गया था। इसके अलावा इस स्मारक में नेताजी स्मारक, चलो दिल्ली संग्रहालय, छोटा तालाब सहित एमफी थिएटर भी उपलब्ध है। साथ ही स्मारक में जगह-जगह बैठक व्यवस्था भी की गई है। योजना कार्य के पूरे होने के बाद वर्ष 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इसे आम लोगों को समर्पित कर दिया था। शुरुआत में यहां काफी रौनक होती थी लेकिन धीरे-धीरे उचित देखरेख के अभाव में यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होने लगा।

मनाएंगे पराक्रम दिवस

नेताजी के जन्मदिन पर यहां प्रत्येक वर्ष कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है। आजाद हिंद ग्राम में कार्यक्रम के संचालक विजेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार भी 23 जनवरी को उनकी जयंती पर पराक्रम दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की ओर से आयोजित होने वाला यह 28वां कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम में हवन पूजन, ध्वजारोहण, रक्तदान और रागनी प्रतियोगिता मुख्य आकर्षक का केंद्र रहेंगे। आयोजित करने वाली संस्था धर्म स्थल संरचना के प्रभारी जयकिशन भारद्वाज का कहना है कि इस ऐतिहासिक स्थल पर विशेष ध्यान देते हुए स्थिति में सुधार करना चाहिए। क्योंकि कई वर्षों से इसके विकास के लिए कोई योजना नहीं बना सकी है।

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