JNU प्रशासन के इस फैसले पर भड़के स्टूडेंट्स, विरोध में एकजुट हुए छात्र संगठन
जेएनयू में विद्यार्थियों की कक्षाओं में हाजिरी अनिवार्य नहीं थी। इस फैसले को लागू कर जबरदस्ती विद्यार्थियों पर थोपा जा रहा है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने नए साल से सभी कक्षाओं में विद्यार्थियों की हाजिरी को अनिवार्य कर दिया है। इस संबंध में विवि के सहायक रजिस्ट्रार ने सभी केंद्रों, संकाय, वर्ग व स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश जारी किया है। जिसके बाद विवि में छात्र संगठन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।
हाजिरी को अनिवार्य किया जाए
विवि के सहायक रजिस्ट्रार सज्जन सिंह ने 22 दिसंबर को बीए, एमए, एमएससी, एमटेक, पीएचडी, एमफिल समेत सभी केंद्रों, स्कूलों व विभाग प्रमुखों को परिपत्र भेजकर निर्देशित किया है। परिपत्र में कहा गया है कि वर्ष 2018 के शीतकालीन सत्र से कक्षाओं में विद्यार्थियों की हाजिरी को अनिवार्य किया जाए। यह फैसला एक दिसंबर को आयोजित अकादमिक परिषद् की बैठक में लिया गया है।
छात्र संगठनों ने किया विरोध
इस परिपत्र के सार्वजनिक होने के बाद विवि में सक्रिय छात्र संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष गीता कुमारी का कहना है कि हम इस फैसले की कड़ी निंदा करते हैं। विवि प्रशासन ने मनमाने तरीके से यह फैसला लिया है। विवि प्रशासन का कहना है कि यह फैसला अकादमिक परिषद् की बैठक में लिया गया है, जो सरासर झूठ है। यह विषय अकादमिक परिषद् के एजेंडे में शामिल तक नहीं था।
ऐसा फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है
वहीं एबीवीपी नेता व जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व संयुक्त सचिव सौरभ शर्मा का कहना है कि अभी तक जेएनयू में विद्यार्थियों की कक्षाओं में हाजिरी अनिवार्य नहीं थी। इस फैसले को लागू कर जबरदस्ती विद्यार्थियों पर थोपा जा रहा है। जेएनयू में विद्यार्थी दिन रात विज्ञान लैब व पुस्तकालय में मेहनत करते हैं, इन बातों को नकारते हुए ऐसा फैसला लेना दुर्भाग्यपूर्ण है।
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