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पिछले साल दिल्ली के प्रदूषण में करीब 45 फीसद का योगदान पराली का रहा

Delhi Pollution 2020 पिछले साल दिल्ली में पराली जलने की घटना लगभग शून्य रही। वहीं पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी पराली जलाई जाती है। पिछली बार दिल्ली के प्रदूषण में करीब 45 फीसद का योगदान पराली का रहा था।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 05 Oct 2020 01:15 PM (IST)Updated: Mon, 05 Oct 2020 01:15 PM (IST)
पिछले साल दिल्ली के प्रदूषण में करीब 45 फीसद का योगदान पराली का रहा
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ जाता है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi Pollution 2020: दिल्ली के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा कि जाड़े के समय में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। जब हवा के अंदर ठंड और नमी बढ़ती है, उस समय पीएम-10 के और पीएम-2.5 के कण का घेरा दिल्ली के ऊपर बढ़ जाता है। इसके मुख्य तौर पर दो मुख्य कारण है। पहला, जो दिल्ली के अंदर धूल प्रदूषण, बायोमॉस बर्निंग, वाहनों के माध्यम से अलग-अलग तरह के कण उत्सर्जित होते हैं। दीपावली के समय पटाखे जलाने, अलग-अलग जगहों पर कूड़े जलाने से पैदा होता है। वहीं, प्रदूषण का दूसरा जो हिस्सा है, उसमें दिल्ली के लोगों की कोई भूमिका नहीं होती है। जैसे पराली का जलना। पिछले साल दिल्ली में पराली जलने की घटना लगभग शून्य रही। वहीं पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी पराली जलाई जाती है। पिछली बार दिल्ली के प्रदूषण में करीब 45 फीसद का योगदान पराली का रहा था।  

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वहीं, सर्दियों में दिल्ली में हवा को जहरीला बनने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार से प्रदूषण के खिलाफ महाअभियान की शुरुआत करेंगे। इस आशय की जानकारी रविवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दी। मुख्यमंत्री सचिवालय में सोमवार को सभी विभागों और एजेंसियों के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। इसके बाद प्रदूषण के खिलाफ अभियान की शुरुआत की जाएगी। बैठक में पर्यावरण, लोक निर्माण विभाग, दिल्ली नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली ट्रैफिक पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। राय ने बताया कि बैठक में मुख्यमत्री संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ दिल्ली में प्रदूषण के अलग-अलग कारणों और उसकी रोकथाम के उपायों को लेकर चर्चा करेंगे। इस दौरान संबंद्ध विभागों को उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाले कारण खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए जाएंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि पिछली बार हमने 25 फीसद प्रदूषण कम किया था, इस बार इससे ज्यादा कम करने में सफल होंगे।

गोपाल राय ने यह भी बताया कि पराली को खाद में बदलने के लिए पूसा कृषि संस्थान की निगरानी में नजफगढ़ के खड़खड़ी नाहर गांव में सेंटर बनाया गया है। यहां सोमवार से बायो डिकंपोजर तैयार करने का ट्रायल शुरू होगा। मंगलवार से करीब 400 पतीलों में घोल तैयार करना शुरू किया जाएगा। ब्लॉक स्तर पर कृषि विस्तार अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो इच्छुक किसानों से फार्म भरवाएंगे, जिसके बाद उनके खेतों में नि:शुल्क छिड़काव किया जाएगा।

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