Doctors Strike: एम्स समेत आठ अस्पतालों के 5600 डॉक्टरों की हड़ताल, 50 हजार मरीज बेहाल
कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों से हुई मारपीट की घटना की आंच दिल्ली तक पहुंच गई।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों से हुई मारपीट की घटना की आंच दिल्ली तक पहुंच गई। रेजिडेंट डॉक्टर हों या निजी अस्पतालों के वरिष्ठ डॉक्टर, सभी आंदोलित हो उठे। इसका परिणाम यह हुआ कि शुक्रवार को दिल्ली में एम्स, सफदरजंग सहित आठ सरकारी अस्पतालों के 5,600 से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहे।
इस वजह से इन अस्पतालों में ओपीडी सेवा प्रभावित रही, करीब एक हजार मरीजों के ऑपरेशन टाल दिए गए। यही नहीं गंगाराम अस्पताल सहित दर्जन भर निजी अस्पतालों में भी ओपीडी सेवा प्रभावित रही। गंगाराम के प्राइवेट ओपीडी में करीब दो हजार मरीजों का अप्वाइंटमेंट रद कर दिया गया। हालांकि, सभी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाएं सामान्य रहीं। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण करीब 50 हजार मरीजों का इलाज प्रभावित होने की बात कही जा रही है।
एम्स, सफदरजंग, लोकनायक, जीबी पंत और जीटीबी अस्पताल में इलाज अधिक प्रभावित हुआ। सफदरजंग अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर शनिवार की सुबह ड्यूटी पर लौटेंगे। हालांकि, एम्स सहित अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों ने हड़ताल अभी वापस नहीं ली है। वे पश्चिम बंगाल सरकार से वहां के डॉक्टरों के लिए सुरक्षा के पुख्ता कदम उठाए जाने व कोलकाता के मेडिकल कॉलेजों में हड़ताल खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में शनिवार को भी हड़ताल जारी रह सकती है।
इलाज के बगैर लौटाए गए नए मरीज
एम्स की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 13,000 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण सिर्फ पहले से अप्वाइंटमेंट लेने वाले पुराने मरीजों का ही वरिष्ठ डॉक्टरों ने ओपीडी में इलाज किया। हजारों नए मरीज इलाज के बगैर लौटा दिए गए। उनका ओपीडी कार्ड भी नहीं बना। एम्स में करीब 52 फीसद मरीज दूसरे राज्यों से पहुंते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाण, राजस्थान इत्यादि राज्यों से काफी संख्या में मरीज एम्स पहुंचे थे। उन्हें निराशा हाथ लगी।
सफदरजंग अस्पताल की ओपीडी में करीब 10,000 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इस अस्पताल में भी ओपीडी की कमान वरिष्ठ डॉक्टर ही संभाल रहे थे। इस वजह से इस अस्पताल में भी ज्यादातर पुराने मरीज देखे गए। नए मरीजों का इलाज नहीं हो पाया। लोकनायक अस्पताल में प्रतिदिन करीब आठ हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जबकि सिर्फ दो हजार मरीजों को ओपीडी में देखा गया। कमोबेश यही स्थिति अन्य अस्पतालों में भी थी।
हड़ताल प्रभावित सभी अस्पतालों में वरिष्ठ डॉक्टरों ने पुराने मरीजों को ही ओपीडी में देखा। दिक्कत यह है कि अस्पतालों में सर्जरी की लंबी वे¨टग है। खासतौर पर एम्स में छह माह से लेकर पांच साल बाद की तारीख दी जाती है। डॉक्टरों की छुट्टी ने भी बढ़ाई मुश्किलें एम्स में गर्मी की छुट्टी के कारण 50 फीसद फैकल्टी 16 मई से छुट्टी पर हैं। वे शनिवार को ड्यूटी पर लौटेंगे।
डॉक्टरों की छुट्टियों की वजह से मरीजों को और ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। क्योंकि रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के बाद मरीजों का इलाज करने के लिए वरिष्ठ डॉक्टर भी कम पड़ रहे थे। डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन एम्स व सफदरजंग अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रदर्शन भी किया।
सफदरजंग अस्पताल के आरडीए के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश ठाकुर ने कहा कि डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसलिए डॉक्टर अस्पतालों में सुरक्षित महसूस नहीं करते। एम्स व नगर निगम के हिंदू राव अस्पताल में कुछ डॉक्टरों ने हेलमेट पहनकर काम किया।
बड़े अस्पतालों में प्रतिदिन ओपीडी व सर्जरी के लिए आने वाले मरीजों की संख्या
अस्पताल मरीजों की संख्या मरीज सर्जरी
एम्स 13,000 645
सफदरजंग 10,000 200
लोकनायक 8,000 100
जीटीबी 7,000 50
जीबी पंत 25,00 65
नोट: इन अस्पतालों के अलावा हिदू राव अस्पताल, हेडगेवार अस्पताल व गुरु नानक नेत्रालय में भी हड़ताल रही।
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