Delhi Politics: आखिर कांग्रेसियों के उत्साह से कैसे टूटी बैल की हिम्मत, पढ़िए -पूरा मामला
पेट्रोल और डीजल के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान किराये की बैलगाड़ी आई तो फोटो खिंचवाने के चक्कर में इस पर लदने वाले ज्यादा ही हो गए।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। राजनीति में रचनात्मकता कई बार हास्यास्पद भी हो जाती है। एआइसीसी के निर्देश पर पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि के विरोध पर आजकल इसके नमूने खूब देखे जा रहे हैं। भारतीय युवा कांग्रेस ने यही विरोध दर्शाने के लिए बैलगाड़ी बुलवा ली। खैर, किराये की बैलगाड़ी तो आ गई, लेकिन फोटो खिंचवाने के चक्कर में इस पर लदने वाले ज्यादा ही हो गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी के संग और भी अनेक युवा बैलगाड़ी पर चढ़ गए। कहीं पांव रखने की जगह नहीं बची। ऐसे में जब चलने की बारी आई तो बैल आगे बढ़ा ही नहीं। बैलगाड़ी वाले ने बार-बार उसे आगे बढ़ने का संकेत किया, लेकिन बैल टस से मस नहीं हुआ। शायद युवा कार्यकर्ताओं के उत्साह ने उसकी हिम्मत तोड़ दी थी। यही वजह रही कि जब बैलगाड़ी वाले ने उसे चोट मारी तभी वह आगे बढ़ पाया, लेकिन थोड़ी ही दूरी पर फिर रुक गया।
नमाज पढ़ने गए थे, रोजे गले पड़े
कोरोना महामारी के इस दौर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी सभी सरकारी नियम- कायदों का पालन करते हुए एआइसीसी के निर्देश मान रहे हैं, फिर भी पुलिस उन्हें बख्श नहीं रही। पहले वह मास्क और शारीरिक दूरी के मानक का पालन करते हुए इंडिया गेट पर गलवन घाटी के शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे तो कुछ ही मिनटों में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। इसके बाद वह पेट्रोल-डीजल के दामों पर वृद्धि को लेकर तांगे से उपराज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने निकले तो फिर पुलिस द्वारा धर लिए गए। विडंबना यह कि दोनों ही बार उनके साथ केवल चार-पांच साथी थे और तांगे पर भी शारीरिक दूरी का खयाल रखा गया था। इस बार तो उनके साथ-साथ उनके साथियों पर भी धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया। अब चौधरी बस यही कहते रहते हैं कि उनके साथ पुलिस ज्यादती कर रही है।
प्रदर्शन का प्रयास, फूल गई सांस
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जयकिशन उम्रदराज होने के साथ ही थोड़ा अस्वस्थ भी रह रहे हैं, लेकिन उनकी सक्रियता और उत्साह में किसी से कम नहीं है। जब पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन करने का निर्देश मिला तो उन्होंने भैंसा, घोड़ा या बैलगाड़ी मंगवाने के बजाय अलग ही रचनात्मकता दिखाने की सोच ली। यह थी महंगी कारों को रस्सियों से खींचने की। कारें मंगवा ली गईं और उनमें रस्सियां भी बांध दी गईं, लेकिन नेताजी की तो जैसे सांस ही फूल गई। अपनी जगह बेटे को रस्सी थमा दी। साथ में पार्टी कार्यकर्ताओं को भी लगाया और कार के पीछे धक्का देने वाले भी लगा दिए, लेकिन तब भी हर किसी की सांस फूल गई। ऐसे में बस फोटो खिंचवाकर ही प्रदर्शन की इतिश्री कर ली गई। नेताजी की तो फोटो भी बस तख्ती हाथ में लेकर प्रदर्शन करने की ही बनी। इसीलिए कहते हैं कि जोश में भी होश जरूरी है।
दूसरों के सहारे राजनीति की नैया
कोरोना काल में प्रदेश कांग्रेस की राजनीति विपक्षी दलों के सहारे ही चल रही है। केंद्र की भाजपा और दिल्ली की केजरीवाल सरकार जो कुछ करती या कहती है, प्रदेश कांग्रेस उसका विरोध करने बैठ जाती है। कभी बयान जारी कर, कभी धरना-प्रदर्शन करके और कभी ज्ञापन सौंपकर। लॉकडाउन में तो पार्टी ने रसोई, सैनिटाइजेशन और आओ मदद का हाथ बढ़ाएं जैसे कुछ अभियान चला भी लिए थे, लेकिन अब शायद कुछ नहीं सूझ रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के साथ ही जीना सीखने की आदत डालते हुए भाजपा ने तो अपनी कुछ राजनीतिक गतिविधियां भी शुरू कर दी हैं, लेकिन कांग्रेस वह भी नहीं कर पा रही। यहां तक कि प्रदेश कार्यकारिणी के गठन को लेकर भी प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी थोड़ा रुकने के ही संकेत दे रहे हैं। ध्यान यह रखना होगा कि निगम चुनाव धीरे-धीरे समीप आ रहे हैं, कहीं देर न हो जाए।