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DTC Bus Scam: बस खरीद में घोटाले का आरोप, अब निष्पक्ष जांच के लिए उपराज्यपाल से मिलेंगे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष

DTC Bus Scam पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व रोहिणी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र भी लिखा है। अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में उपराज्यपाल से मिलने की तैयारी हो रही।कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए पार्टीं संघर्ष जारी रखेगी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 13 Jul 2021 06:26 PM (IST)Updated: Tue, 13 Jul 2021 07:02 PM (IST)
DTC Bus Scam: बस खरीद में घोटाले का आरोप, अब निष्पक्ष जांच के लिए उपराज्यपाल से मिलेंगे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
बसों की खरीद व रखरखाव मामले की जांच से संतुष्ट नहीं है पार्टी

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। एक हजार लो फ्लोर बसों की खरीद व इसके रखरखाव की प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली भाजपा इसकी जांच भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) या सीबीआइ से कराने की मांग कर रही है। इसे लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व रोहिणी के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र भी लिखा है। अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में पार्टी के नेता उपराज्यपाल से मिलने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए पार्टीं संघर्ष जारी रखेगी।

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सीबीआइ व भ्रष्टाचार निरोधक शाखा से जांच कराने की कर रही मांग

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट भी गड़बड़ी की बात कही है। रखरखाव की निविदा को रद करके इसे नए सिरे से जारी करने को कहा गया है। इससे स्पष्ट है कि नियमों की अवहेलना हुई है। इससे स्पष्ट है कि इस मामले में अनियमितता हुई है और इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

जानबूझ कर दो कंपनियों को दिया गया मौका

उन्होंने कहा कि बस खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं है। जानबूझकर सिर्फ दो कंपनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने का मौका दिया गया। उन्होंने कहा कि बस खरीद पर नौ सौ करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इनके रखरखाव के लिए वारंटी अवधि के दौरान तीन साल में 35 सौ करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह अनुचित है।

एसीबी को नहीं मिल रही जांच करने की अनुमति

एसीबी के पास इसकी शिकायत भी है, लेकिन उसे जांच करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उपराज्यपाल को तुरंत उसे जांच की अनुमति देनी चाहिए। साथ ही जांच पूरी होने तक दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और इस मामले से जुड़े अन्य अधिकारियों को पद से हटाया जाना चाहिए।

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