साथियों ने किया याद, कहा- स्मृतियों में भी हमेशा बसे रहेंगे सोमनाथ चटर्जी
पूर्व सांसद सज्जन कुमार कहते हैं, सोमनाथ चटर्जी ऐसे लोकसभाध्यक्ष थे, जो दलगत राजनीति से बहुत ऊपर थे। कभी किसी पार्टी को लाभ नहीं पहुंचाते थे।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष एवं दस बार के सांसद सोमनाथ चटर्जी भले अब इस संसार में न रहे हों, लेकिन दिल्ली के कुछ पूर्व सांसदों की स्मृतियों में वे हमेशा बसे रहेंगे। खटपट रहने पर भी वह भाजपा सांसदों को घर बुलाकर खाना खिलाते रहे तो कांग्रेस के सांसदों को भी उन्होंने हमेशा मान- सम्मान दिया। वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से थे, लेकिन उन्होंने कभी अपनी पार्टी को लाभ पहुंचाने की कोशिश नहीं की।
उन्होंने मुझे लोकसभा की कार्यवाही चलाने का अवसर दिया
अजय माकन पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस सांसद अजय माकन कहते हैं, सोमनाथ जी युवाओं को हमेशा प्रोत्साहित करते थे। मेरा पहला ध्यानाकर्षण प्रस्ताव उन्होंने ही स्वीकृत कर मुझे संसद में बोलने का मौका दिया। उन्होंने मुझे लोकसभा की कार्यवाही चलाने के लिए भी चयनित किया। उनकी अनुपस्थिति में मैंने इस जिम्मेदारी का निर्वहन किया। मेरे लिए उन्हें भूल पाना असंभव है।
मेहमान नवाजी में भी खासे माहिर थे चटर्जी
जेपी अग्रवाल पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल कहते हैं, जब सोमनाथ जी लोकसभा अध्यक्ष थे, तब तो मैं सांसद नहीं था। लेकिन पूर्व में बतौर सांसद हम दोनों ही अच्छे साथी रहे थे। वह ऐसे सभापति थे जो सरकार के खिलाफ भी बोल जाते थे। संसदीय समितियों से जुड़े मामलों में भी उनसे अक्सर मिलना-जुलना होता रहता था। 1984 से 1989 के बीच एक बार मैं प्रतिनिधिमंडल के साथ पश्चिम बंगाल गया तो उन्होंने वहां काफी मेहमान नवाजी की। उन्होंने कहा भी कि, अग्रवाल साहब तो हमारे मेहमान हैं।
हमारा व्यवहार अक्सर उन्हें आहत कर जाता था, फिर भी हमें घर पर खाना खिलाते थे
वीके मलहोत्रा पूर्व भाजपा सांसद विजय कुमार मलहोत्रा कहते हैं, सोमनाथ जी मेरे अच्छे दोस्त थे। हमारी उनसे खटपट भी होती रहती थी। उनके पिताजी हिन्दू महासभा के अध्यक्ष थे जबकि वह सीपीआइ एम से जुडे़ थे। इस मसले पर भी नोकझोंक होती रहती थी। एक बार उन्होंने मेरी निजी तौर पर कही गई बात को सार्वजनिक कर दिया। जब मैंने आपत्ति जताई तो उन्होंने मुझसे माफी मांगी। एक बार उन्होंने अटल जी को पत्र लिखा कि उन्हें अध्यक्ष के तौर पर आप लोग वह सम्मान नहीं देते, जो उन्हें मिलना चाहिए। इस पर अटल जी ने जवाब दिया, सम्मान कमाया जाता है, मांगा नहीं जाता। इस जवाब से वह बहुत आहत हुए। बावजूद इस सबके संसद के हर सत्र से पहले हमें अपने घर पर बुलाते और खाना भी खिलाते।
दलगत राजनीति से बहुत ऊपर थे सोमनाथ चटर्जीः सज्जन कुमार
पूर्व सांसद सज्जन कुमार कहते हैं, सोमनाथ चटर्जी ऐसे लोकसभाध्यक्ष थे, जो दलगत राजनीति से बहुत ऊपर थे। कभी किसी पार्टी को लाभ नहीं पहुंचाते थे। जो सही लगता, वही करते थे। यही वजह है कि जब उन्हें जरूरत महसूस हुई तो उन्होंने अपनी पार्टी छोड़ने से भी परहेज नहीं किया। मेरे संबंध भी उनके साथ हमेशा सौहार्दपूर्ण रहे।