जरूरतमंदों की मदद करते हुए सामाजिक संस्था ‘समाधान’ ने पेश की मिसाल
सामाजिक संस्था भी है जो पिछले 100 दिनों से आज तक लगातार जरूरतमंद लोगों के लिए रसोई का संचालन करते हुए दोपहर का खाना वितरित कर रही है।
नई दिल्ली [राहुल चौहान]। देश में कोरोना महामारी की दस्तक के साथ ही शुरू हुए लॉकडाउन में लाखों समाजसेवी संस्थाएं और उनसे जुड़े हुए लोगों ने जरूरतमंदों की मदद के लिए अपने-अपने स्तर से काम शुरू किया। इसी क्रम में देश की राजधानी दिल्ली में भी सैकड़ों लोगों ने सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर और व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों की मदद शुरू की। जब लोगों ने मदद करना शुरू किया तो उस समय सिर्फ 21 दिनों के लिए लॉकडाउन की घोषणा हुई थी।
इसलिए अधिकांश लोगों ने 21 दिन का बजट बनाकर लोगों के लिए खाना और राशन बांटना शुरू किया था। लेकिन फिर जैसे-जैसे लॉकडाउन बढ़ता गया तो लोगों के पास बजट की कमी होती चली गयी। इसके कारण बहुत से समाजसेवियों ने एक या दो महीने बाद ही खाना और राशन वितरण का काम बंद कर दिया। लेकिन इन सबसे अलग एक ऐसी सामाजिक संस्था भी है जो पिछले 100 दिनों से आज तक लगातार जरूरतमंद लोगों के लिए रसोई का संचालन करते हुए दोपहर का खाना वितरित कर रही है।
रसोई का संचालन लक्ष्मी नगर के ललिता पार्क स्थित प्राचीन पिपलेश्वर हनुमान मंदिर पर यह रसोई सामाजिक संस्था समाधान द्वारा चलाई जा रही है। इसके बारे में जानकारी देते हुए समाधान के संस्थापक पवन शर्मा ने बताया कि 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद एक दिन अपने बैडमिंटन क्लब के दोस्तों के साथ बैठे हुए थे और लॉकडाउन में जरूरतमंद लोगों की मदद करने पर विचार कर रहे थे। इस क्लब में कुल 21 लोग हैं।
इसलिए सभी ने मिलकर यह तय किया कि लॉकडाउन के 21 दिन तक प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 100 लोगों को खाना खिलाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन में इस्तेमाल किए गए शब्दों ‘कोरोना से बचाव के लिए सावधानी ही समाधान है’ में इन्हें समाधान शब्द ने आकर्षित किया। फिर सभी ने मिलकर समाधान नाम से संस्था बनाकर 27 मार्च से रसोई शुरू कर दी। शुरू में इन लोगों ने मंदिर से बर्तन लेकर खुद ही सुबह की चाय बनाकर नाश्ते में रस्क और दोपहर के खाने में पुलाव बनाकर बांटना शुरू किया।
दो दिन बाद संस्था से और लोग जुड़ गए और संख्या करीब 400 हो गयी। सभी ने मदद करना शुरू किया तो हलवाई रखकर खाना बनवाना शुरू कर दिया गया। संस्था से जुड़े हुए गौरव गुप्ता, पवन मुद्गगल और गौरीशंकर बताते हैं कि रसोई को चलाने में एक दिन चार-पांच हजार रुपये तक का खर्चा आ रहा है। सभी लोग मिलकर यह खर्च उठा रहे हैं। वहीं पवन शर्मा ने बताया कि कार्य से प्रसन्न होकर पत्नी, पिताजी और उनके एक जीजाजी ने भी आर्थिक सहयोग किया।
इसके बाद इलाके के कई संपन्न और सामाजिक लोगों ने पैसे और खाद्य सामग्री देकर मदद करनी शुरू कर दी। इस तरह यहां प्रतिदिन 400 लोगों को खाना बांटना शुरू किया गया। शर्मा ने बताया कि इस तरह सभी के सहयोग से रसोई को चलते-चलते 100 दिन पूरे हो गए हैं। इन 100 दिनों में खाना बांटने के अलावा 700 जरूरतमंद लोगों को राशन किट, 45 लोगों को दवाई और दो लोगों को डायलिसिस की सुविधा भी संस्था के लोगों ने उपलब्ध करायी है।
वहीं लोगों की मांग पर घरों का सैनिटाइजेशन भी संस्था द्वारा कराया गया। इसके साथ ही मास्क, सैनिटाइजर और जूस भी लोगों को बांटा गया और मंदिर के पुजारियों को भी राशन किट दी गयी। वहीं मंदिर के पास स्थित गौशाला में रहने वाली करीब 20 गायों के लिए लॉकडाउन खुलने तक चारे की व्यवस्था भी संस्था द्वारा की गयी। संस्था के कार्य से प्रभावित होकर भाजपा के राज्यसभा सदस्य दुष्यंत गौतम ने भी गौशाला पहुंचकर गायों को चारा खिलाया।
वहीं रसोई के 100 दिन पूरे होने पर लक्ष्मी नगर में काम करने वाले निगम के सफाई कर्मचारियों (कोरोना योद्धाओं) का सम्मान करते हुए उन्हें काढ़ा, साबुन, मास्क व उनके भोजन की व्यवस्था संस्था द्वारा की गई। इस कार्यक्रम में लक्ष्मी नगर के विधायक अभय वर्मा, निगम की स्थायी समिति के पूर्व अध्यक्ष बीबी त्यागी, पूर्वी दिल्ली के महापौर निर्मल जैन, पार्षद संतोष पाल व हिमांशी पांडेय, भूषण ठक्कर, जितेन्द्र अरोड़ा, धनुज सिंह, प्रभु जी प्रशाद, अनूप कटोच, सुनीत अग्रवाल, विमलेश चौधरी, दुर्गा कार्की , विकास जैन, जीत शर्मा, मनीष सलिल, कमल ठाकुर गौरी शंकर, हिम्मत सिंह, सुन्दर सिंह बिष्ट, राहुल गोला, हर्षित आदि संस्था के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। वहीं रविवार को खाना बनाने और सहयोग करने वाले लोगों को कपड़े भी दिये गए।