कार्रवाई करने से पहले इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को यूजर्स के मौलिक अधिकार का करना चाहिए सम्मान
ट्विटर द्वारा खाता निलंबित करने के खिलाफ दायर विभिन्न याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि मीडिया प्लेटफार्म को नागरिकों के मौलिक अधिकार का सम्मान करना चाहिए और कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुरूप होनी चाहिए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। ट्विटर द्वारा खाता निलंबित करने के खिलाफ दायर विभिन्न याचिका पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि मीडिया प्लेटफार्म को नागरिकों के मौलिक अधिकार का सम्मान करना चाहिए और कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुरूप होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ के समक्ष हलफनामा दाखिल करके कहा कि मीडिया प्लेटफार्म को किसी का खाता निलंबित करने से पहले उसे नोटिस भेजना चाहिए और स्वयं खाता बंद नहीं करना चाहिए।केंद्र ने दलील दी कि मीडिया प्लेटफार्म उपयोगकर्ता को पूर्व सूचना दे सकता है और विशिष्ट जानकारी या सामग्री को हटाने की मांग कर सकता है।
बिना जानकारी के खाता बंद करना सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियमों का उल्लंघन करता है।केंद्र ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की पोस्ट आपत्तिजनक है तो मीडिया प्लेटफार्म उक्त पोस्ट को हटाने को कह सकता है या हटा सकता है, लेकिन खाता पूरी तरह से निलंबित नहीं कर सकता है।
केंद्र सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि एक महत्वपूर्ण मीडिया मध्यस्थ को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकारों के दमन के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, अन्यथा लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए इसके गंभीर परिणाम होंगे।वरिष्ठ अधिवक्ता संजय आर हेगडे समेत कई अन्य याचिकाकर्ताओं ने उनका ट्विटर अकाउंट बंद करने के खिलाफ याचिका दायर की थी।याचिका के अनुसार हेगड़े ने गोरख पांडे की एक कविता को री-ट्विट करते हुए लिखा था।
हेगड़े के खाते को उन दो री-ट्विट के बाद निलंबित कर दिया गया था, जबकि मूल ट्वीट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।उन्होंने कहा कि उनका ट्विटर अकाउंट निलंबित करना गैरकानूनी और मनमाना है। हेगडे ने कहा था कि उन्होंने ट्विटर की आंतरिक अपील प्रक्रिया का पालन किया, लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई थी। इतना ही नहीं मीडिया प्लेटफार्म को उन्होंने कानूनी नोटिस भी दिया था, लेकिन इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।