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1984 सिख दंगा: 52 केस की फिर होगी जांच, कांग्रेसी नेताओं की बढ़ेगी मुश्किल

एसआइटी इनमें से तीन दंगों की जांच करीब पूरी कर चुकी है, जिसकी रिपोर्ट वह कभी भी गृह मंत्रालय को सौंप सकती है। हो सकता है इन मामलों में भी सज्जन कुमार को सजा मिले।

By Edited By: Published: Tue, 18 Dec 2018 09:42 PM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 11:37 AM (IST)
1984 सिख दंगा: 52 केस की फिर होगी जांच, कांग्रेसी नेताओं की बढ़ेगी मुश्किल
1984 सिख दंगा: 52 केस की फिर होगी जांच, कांग्रेसी नेताओं की बढ़ेगी मुश्किल

नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। दिल्ली कैंट के राजनगर में हुए सिख विरोधी दंगे के दोषी कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 34 साल बाद उम्रकैद की सजा मिली है। इससे सज्जन कुमार की मुश्किलें कम होने वाली नहीं हैं। क्योंकि तीन साल पूर्व केंद्र सरकार द्वारा गठित नई एसआइटी 1984 सिख विरोधी दंगों के कुल 52 मामलों की जांच करने जा रही है।

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बताया जा रहा है कि एसआइटी इनमें से तीन दंगों की जांच करीब पूरी कर चुकी है, जिसकी रिपोर्ट वह कभी भी गृह मंत्रालय को सौंप सकती है। दिल्ली के तीन मामलों की जांच अंतिम चरण में है। हो सकता है इन मामलों में भी सज्जन कुमार को सजा मिले। निचली अदालत ने जिन मामलों में सज्जन कुमार समेत अन्य आरोपितों को बरी कर दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट में अपील में आए उन मामलों में भी सज्जन कुमार को कठोर सजा मिल सकती है। बताया जा रहा है कि जांच आगे बढ़ी तो इस मामले में सज्जन कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर के साथ कई अन्य कांग्रेसी नेता भी फंस सकते हैं। 

नई एसआइटी में 20 सदस्य
नई एसआइटी जिले के मुख्य सदस्य एडिशनल डीसीपी कुमार ज्ञानेष के मुताबिक 2015 में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सिख समुदाय को न्याय दिलाने के लिए नई एसआइटी बनाई थी। इसमें न्यायपालिका समेत अलग-अलग विभाग के 50 सदस्य हैं। इन्हें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे के बंद पड़े और अनट्रेस केसों का पता लगाकर पुन: जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

52 मामले मिले संदेहास्पद
नई एसआइटी ने सैकड़ों मामले को खंगाल कर 52 ऐसे मामले का चयन किया जिसमें उन्हें लग रहा है कि अगर उनकी पुन: जांच की जाए तो पीड़ितों को न्याय व आरोपितों को सजा मिल सकती है। नई एसआइटी ने पहले पालम विहार मामले की जांच शुरू की। उक्त मामले में दो लोग मारे गए थे। बीते 20 नवंबर को पटियाला हाउस कोर्ट से एक अभियुक्त को फांसी व एक को उम्रकैद की सजा मिली थी।

कैसे भड़का था दंगा
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक नवंबर 1984 की शाम सैकड़ों की संख्या में उपद्रवियों ने जनकपुरी स्थित गुरुद्वारे के पास पहुंचकर तोड़फोड़ शुरू कर दी। सिखों की तलवार छीनकर उन पर हमले किए गए। इस घटना में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद से दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में सिखों को मारा जाने लगा। उनके घर जलाए जाने लगे। इसके बाद दंगा पूरे शहर में फैल गया।

पुलिस रही नाकाम तो गठित की एसआइटी
तीनों मामले में एक ही शिकायतकर्ता ने तीन अलग-अलग थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। जिससे आला अधिकारियों के निर्देश पर जनकपुरी थाना पुलिस ने तीनों केसों को क्लब कर एक केस बना दिया था। केस दर्ज करने के बाद शिकायतकर्ता के दिल्ली छोड़ देने पर जनकपुरी पुलिस ने कोर्ट में यह बताकर अनट्रेस रिपोर्ट फाइल कर दी कि उन्हें न तो शिकायतकर्ता मिल रहा है और न ही कोई गवाह व अन्य साक्ष्य।

अमेरिका में मिले पीड़ितों के परिजन
नई एसआइटी ने उक्त मामले को तीन अलग-अलग केस बनाकर पुन: नए सिरे से जांच शुरू कर दी। जिस पर उन्हें पंजाब व अमेरिका में पीड़ित के परिजन मिल गए। वे सभी गवाही के लिए तैयार हो गए। उनसे नई एसआइटी को मेडिकल व एमएलसी रिपोर्ट मिल गई। उक्त मामले में पिछले तीन वर्षों के दौरान नई एसआइटी करीब पांच बार पूछताछ भी कर चुकी है। तीनों केसों का निबटारा करने के बाद एसआइटी अन्य केस की जांच शुरू करेगी।

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