Shaurya Gatha: नायक मान सिंह 14 आतंकियों को मार देश पर हो गए कुर्बान
सेक्शन की कमांड नायक मान सिंह कर रहे थे। दिन का समय था आतंकियों के हमला बोल दिया गोलीबारी शुरू हो गई। मानसिंह अपने दस साथियों के साथ मोर्चे पर डटे थे। उसी समय आतंकियों की गोली से उनके चार साथी शहीद हो गए मगर मान आखिड़ी सांस तक लड़े।
सोहना/ गुरुग्राम [सतीश राघव]। जिला गुरुग्राम के युवाओं का देश सेवा की भावना से ओतप्रोत है। यहां कई परिवार तो ऐसे हैं जिनकी तीन पीढ़ियां देश रक्षा को समर्पित हैं। कई गांव ऐसे हैं जहां की हर मां की कोख से जन्मा युवा देश के लिए काम आया। कारगिल युद्ध के दौरान देश की सरहद पर आतंकियों के रूप में दुश्मनों का आतंक था जिसे कुचलने के लिए मां के सपूतों ने अपना बलिदान दे दिया। ऐसे ही एक बलिदानी नायक मान सिंह थे।
सोहना की अरावली की तलहटी में बसे गांव बहलपा के रहने वाले देशभक्त नायक मान सिंह ने अदम्य साहस व वीरता का परिचय देते हुए 14 आतंकवादियों को मार गिराया और अपने पांच साथियों के साथ बलिदान हो गए। इनको सेना ने मेडल के सम्मान से नवाजा गया। नायक मान सिंह का जन्म अमृतसिंह नंबरदार के घर दस जनवरी 1969 को हुआ। दसवीं कक्षा तक पढ़ाई के बाद अपने फौजी दादा कप्तान मवासी राम से प्रेरणा लेकर एक अगस्त, 1988 को 6 राजपूत रेजिमेंट 1988 में भर्ती हो गए। वहां से उनकी बदली 10 आरआर जम्मू कश्मीर में दो साल के लिए हो गई।
सेना मेडल से हुए सम्मानित
उन दिनों आतंकियों का पूरा आतंक था। आपरेशन रक्षक के तहत सेक्शन को जिम्मेदारी मिली। सेक्शन की कमांड नायक मान सिंह कर रहे थे। दिन का समय था आतंकियों के हमला बोल दिया गोलीबारी शुरू हो गई। मानसिंह अपने दस साथियों के साथ मोर्चे पर डटे थे। उसी समय आतंकियों की गोली से उनके चार साथी शहीद हो गए। आतंकी पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे थे। उसी वक्त मान सिंह अदम्य साहस दिखाया और अकेले ही दुश्मनों पर टूट पड़े और 14 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया। दुश्मनों से लड़ते हुए मान सिंह 23 अप्रैल, 2003 को देश के लिए बलिदान हो गए। उनको मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया। मान सिंह की वीरता पर उनके पिता अमृत सिंह को नाज हैं। वह कहते हैं कि उनके बहादुर बेटे ने सीने दुश्मन की गोली पर खाई, दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई।