शीला दीक्षित के तर्कों से कतई सहमति नहीं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
एआइसीसी सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में कांग्रेस कहां खड़ी है इसकी जमीनी हकीकत ब्लॉक व बूथ स्तर पर बेहतर ढंग से पता चल सकती है न कि उन नेताओं से जो खुद चुनावी टिकट के दावेदार हों।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस का गठबंधन भले हो या नहीं, लेकिन इसे लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआइसीसी) के नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के तर्कों से कतई सहमति नहीं रखते। एआइसीसी की ओर से तो शीला की उस रायशुमारी पर भी अंगुली उठाई जा रही है जो वह गठबंधन को लेकर अपने निवास पर दिल्ली के नेताओं से कर रही हैं। साथ ही एआइसीसी जिला कार्यकर्ता सम्मेलन की भीड़ को भी चुनाव जीतने की क्षमता नहीं मान रही है।
गौरतलब है कि एआइसीसी के निर्देश पर शीला ने लगातार दो दिन अपने घर पर दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं को बुलाकर उनसे गठबंधन पर राय मांगी थी, जिसमें सभी ने यह कहते हुए गठबंधन नहीं करने की राय दी कि दिल्ली में कांग्रेस का ग्राफ निरंतर बढ़ रहा है जबकि आप की लोकप्रियता घट रही है। विभिन्न जिला कार्यकर्ता सम्मेलनों में उमड़ रही भीड़ का उदाहरण भी दिया जा रहा है।
वहीं एआइसीसी सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में कांग्रेस कहां खड़ी है, इसकी जमीनी हकीकत ब्लॉक और बूथ स्तर पर बेहतर ढंग से पता चल सकती है, न कि उन नेताओं से जोकि खुद चुनावी टिकट के दावेदार हों। लेकिन, शीला ने गठबंधन को लेकर रायशुमारी में न तो 14 में से एक भी जिला अध्यक्ष को शामिल किया है और न ही 280 ब्लॉक अध्यक्षों को।
एआइसीसी तो शीला के नेतृत्व में लड़े गए पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के लिए भी इस पहलू को एक महत्वपूर्ण कारक मान रही है कि तब भी प्रदेश इकाई बूथ और ब्लॉक स्तर पर कहीं नहीं थी। जबकि आम आदमी पार्टी और भाजपा का कार्यकर्ता बूथ स्तर पर भी मतदाताओं तक हमेशा पहुंचता रहा है।
एआइसीसी सूत्र बताते हैं कि प्रदेश कांग्रेस को लग रहा है कि जिला कार्यकर्ता सम्मेलनों में उमड़ रही भीड़ उनकी संभावित जीत का पर्याय है, लेकिन ऐसा भी नहीं है। किसी कार्यक्रम की भीड़ मतदाताओं में तब्दील होने का प्रमाण नहीं होती। इस तरह की भीड़ स्थायी नहीं बल्कि अस्थायी इंप्रेशन होती है।
एआइसीसी का यह भी कहना है कि मोदी विरोधी पार्टियों के साथ कांग्रेस का गठबंधन देश भर के लिए बनाई गई केंद्रीय नीति का हिस्सा है। यह केवल दिल्ली के लिए नहीं है। गठबंधन भी सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए है। विधानसभा चुनाव अपने दम पर ही लड़ा जाएगा।
पीसी चाको (प्रभारी, दिल्ली एवं महासचिव एआइसीसी) ने बताया कि चुनावी गठबंधन को लेकर बहुत सारे पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, दिल्ली में भी यह होगा या नहीं और कब तक होगा, कह पाना मुश्किल है। कांग्रेस इस दिशा में अखिल भारतीय स्तर पर काम कर रही है।