अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली शीतल, अब बन रही दूसरों की आवाज
मूल रूप से आगरा के ताजगंज क्षेत्र की निवासी शीतल राजपूत सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करने वाली एक युवा व ऊर्जावान महिला वकील हैं। 26 वर्षीय शीतल ने बताया कि उनका आगरा से निकलकर दिल्ली आने तक का सफर काफी संघर्ष से भरा रहा है।
नई दिल्ली [रितु राणा]। अशिक्षा व जागरुकता की कमी के चलते अब भी समाज में महिलाओं व बच्चों का एक ऐसा वर्ग है जिन्हें अपने मौलिक अधिकारों की जानकारी ही नहीं है। इसी वजह से वह स्वतंत्र भारत में भी अपनी बातों को खुलकर सामने नहीं रख पा रहे हैं और कहीं न कहीं शोषण का शिकार हो जाते हैं। जोकि इस देश की सबसे बड़ी विडंबना है। इसी विडंबना को दूर करने के उद्देश्य से अब ईस्ट आजाद नगर में रहने वाली अधिवक्ता शीतल राजपूत ने बच्चों व महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया है।
मूल रूप से आगरा के ताजगंज क्षेत्र की निवासी शीतल राजपूत सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करने वाली एक युवा व ऊर्जावान महिला वकील हैं। 26 वर्षीय शीतल ने बताया कि उनका आगरा से निकलकर दिल्ली आने तक का सफर काफी संघर्ष से भरा रहा है। उनके यहां लड़कियों को वकालत की पढ़ाई करने की अनुमति नहीं थी लेकिन उन्होंने अपने अधिकारों के लिए लड़कर वकालत की। अब वह अपने परिवार व मोहल्ले में सर्वोच्च न्यायालय में वकालत करने वाली पहली वकील हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही अपने अधिकारों के लिए उठाने लगी थी, फिर चाहे वह घर, परिवार हो या स्कूल। 2019 में पिता की मृत्यु के बाद परिवार ने कई परेशानियों का सामना किया लेकिन उन्होंने पूरी मजबूती के साथ अपने परिवार को संभाला। अब वह इस मुकाम पर पहुंचकर दूसरी महिलाओं को भी पढ़ लिखकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
शीतल ने बताया कि पिछले छह वर्षों से वह विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर झुग्गी बस्तियों में जाकर बच्चों व महिलाओं को निश्शुल्क शिक्षा व कानूनी जागरूकता का पाठ पढ़ा रही हैं। साथ ही उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करती हैं, जिससे कोई उनका शोषण न कर सकें। शीतल ने राम मंदिर मामले में भी कानूनी सहायता दी और 2019 में हरियाणा में एक लड़की को जलाने के मामले में भी नि:शुल्क कानूनी सहायता देकर न्याय दिलाया। वकालत के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए वह सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता वी शेखर व पंकज शर्मा से काफी प्रेरित हुई हैं। उनके वकालत करने का उद्देश्य यही है कि वह महिलाओं व बच्चों पर हो रहे अत्याचार व शोषण के खिलाफ आवाज उठा सकें और उन्हें न्याय दिला सकें।
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