Railway News: ट्रेन यात्रियों को बदबूदार शौचालय से जल्द मिलेगा छुटकारा
Railway News अब तक उत्तर रेलवे के 1382 कोच में इस तरह के शौचालय लगा दिए गए हैं। इसमें पानी की खपत भी कम होती है।
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। Railway News: रेल यात्रियों को अब सफर के दौरान बदबूदार शौचालय से छुटकारा मिलने की उम्मीद है। उनकी परेशानी दूर करने के लिए ट्रेनों में हवाई जहाज की तरह बायो वैक्यूम टॉयलेट की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए काम चल रहा है। कोरोना महामारी के दौरान इस काम में तेजी आई है और उत्तर रेलवे की सभी शताब्दी ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध हो गई है। अब तक उत्तर रेलवे के 1382 कोच में इस तरह के शौचालय लगा दिए गए हैं। ट्रेनों में उपलब्ध पारंपरिक शौचालय की साफ-सफाई बनाए रखना मुश्किल काम है। इसके साथ ही इसमें पानी की खपत भी ज्यादा होती है।
रेल पटरियों पर गंदगी गिरने से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। इसे ध्यान में रखकर पिछले कई वर्षो से ट्रेनों में जैविक शौचालय (बायो टॉयलेट) लगाने का काम चल रहा है। अब इससे भी एक कदम आगे हवाई जहाज की तरह ट्रेनों में शौचालय उपलब्ध कराने का काम शुरू हो गया है। सबसे पहले डिब्रूगढ़ राजधानी में इसका ट्रायल किया गया था। ट्रायल सफल रहने के बाद कालका शताब्दी में यह सुविधा शुरू की गई थी।
वहीं, लॉकडाउन में इस काम में तेजी आई है। उत्तर रेलवे द्वारा संचालित होने वाली सभी शताब्दी ट्रेनों में पुराने जैविक शौचालय हटा दिए गए है। इसके साथ ही राजधानी व अन्य ट्रेनों के कोच में भी यह बदलाव किया जा रहा है। फिलहाल वातानुकूलित कोच में ही यह सुविधा मिलेगी। अगले चरण में गैर वातानुकूलित कोच में भी इस तरह के शौचालय लगाए जाएंगे।
पानी की बर्बादी भी रुकेगी
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जैविक शौचालय को लेकर यात्रियों से मिल रही शिकायतों के बाद यह कदम उठाया गया है। वैक्यूम बायो टॉयलेट में फर्श से नीचे का हिस्सा तो जैविक शौचालय जैसा ही होता है, परंतु ऊपर कमोड वाला हिस्सा विमान की भांति वैक्यूम तकनीक पर आधारित होता है। इसमें पानी की खपत भी बहुत कम होती है। आधा लीटर पानी से कमोड साफ हो जाता है जबकि पारंपरिक शौचालय में दस लीटर से ज्यादा पानी लगता है।
जाम नहीं होगा शौचालय
इसमें सेंसर युक्त फ्लश लगाया गया है जिससे यह जाम नहीं होगा। इसके साथ ही बनावट इस तरह से है कि बोतल या कोई अवांछित वस्तु इसमें नहीं डाला जा सकेगा।