शरद के जीत की कहानी: कमजोरी को नहीं बनने दी बाधा, संघर्ष से लिखी कामयाबी की दास्तां
Tokyo Paralympics 2020 शरद ने पैरालिंपिक में उंची कूद में कांस्य जीता है। शरद दिल्ली में रहते हैं मगर वह रहने वाले बिहार के हैं। राजधानी में वह जेएनयू से पढ़ाई कर रहे हैं। दिल्ली में फिलहाल उनका असियाना छत्रपुर में हैं।
नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। Tokyo Paralympics 2020: टोक्यो में चल रहे पैरालिंपिक में दिल्ली के शरद कुमार छा गए हैं। उन्होंने पैरालिंपिक में ऊंची कूद टी 42 स्पर्धा में शानदार कूद लगाते हुए कांस्य पदक पर कब्जा जमा लिया है। मिली जानकारी के अनुसार शरद दिल्ली में रहते हैं मगर वह रहने वाले बिहार के हैं। राजधानी में वह जेएनयू से पढ़ाई कर रहे हैं। दिल्ली में फिलहाल उनका असियाना छत्रपुर में हैं।
कमजोरी को नहीं बनने दी बाधा
शरद का एक पैर पोलियो बीमारी के कारण खराब हो गया था। यह जन्म से ही काफी कमजोर है। हालांकि उन्होंने अपनी कमजोरी को कभी भी अपनी सफलता में बाधा नहीं बनने दी। उन्होंने अपने हौसले से अपनी खुद के कामयाबी की कहानी लिखी है जिसकी चर्चा आज दुनिया भर में हो रही है। उन्होंने टोक्यो के पैरालिंपिक 2020 में वो कर दिखाया जो हर किसी का सपना होता है। उन्होंने ऊंची कूद में कांस्य पदक जीता है। उनकी इस जीत पर सभी खुशी हैं। ट्विटर पर सभी उन्हें बधाई दे रहे हैं। वहीं उनके घर पर भी खुशी का महौल है।
अब तक कौन-कौन सी उपलब्धि उनके नाम रही
शरद कुमार ने टोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने के पहले भी कई अन्य पद पर कब्जा जमा चुके हैं। वह 2018 एशियन जर्काता इनडोनेशिया में स्वर्ण पदक जीता था। वहीं, रियो ओलंपिक में हिसा ले चुके हैं। वहीं हाल के दिनों की बात करें तो 2019 दुबई में वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत कर देशवासियों को खुशी है।
अब तक के इतिहास में सोमवार रहा सबसे शानदार दिन
टोक्यो में चल रहे पैरालिंपिक में भारत की तरफ से कुछ खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। कुल मिला कर यह कह सकते हैं कि यह दिन ऐतिसाहिसक सफलता लेकर आया। महिला वर्ग में निशानेबाजी में अपना हुनर दिखाने उतरीं अवनि लेखरा ने भारत को प्रतियोगिता का पहला स्वर्ण पदक पक्का किया था। जिसके बाद से ही देश भर में खुशी का महौल है। वहीं वह पैरालिंपिक में स्वर्ण जीतने वालीं पहली भारतीय महिला बन गईं। इधर भाला फेंक में एथलीट सुमित आंतिल ने नया रिकार्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। भाला फेंक की एक अन्य स्पर्धा में देवेंद्र झाझरिया ने रजत तो सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पर कब्जा जमाया। वहीं चक्का फेंक में योगेश कथूनिया भी रजत पदक जीता था।