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थक सा गया शाहीन बाग, अब धरना समाप्त करने के लिए तलाशा जा रहा सम्मानजनक रास्ता

विधानसभा चुनाव से पूर्व पर्दे के पीछे से मदद करने वाले नेताओं ने भी अब मुंह मोड़ लिया है। लगातार धरना दे रहे लोग चाहते हैं कि किसी तरह सम्मान बना रहे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 12:33 AM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 07:45 AM (IST)
थक सा गया शाहीन बाग, अब धरना समाप्त करने के लिए तलाशा जा रहा सम्मानजनक रास्ता
थक सा गया शाहीन बाग, अब धरना समाप्त करने के लिए तलाशा जा रहा सम्मानजनक रास्ता

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में दो महीने से चल रहा धरना अब थक सा गया है। पिछले कुछ दिनों से धरने पर बैठे लोगों की संख्या तेजी से घटती जा रही है। लिहाजा लोग बस कोई सम्मानजनक अंत चाहते हैं। कई दिनों से दावा किया जा रहा था कि रविवार को शाहीन बाग से करीब 5000 लोग केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने जाएंगे, लेकिन मुश्किल से 300-400 लोग ही इकट्ठा हो पाए थे।

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इस धरने से लोगों का काम धंधा चौपट हो गया, दो माह से शोरूम बंद पड़े हैं

दरअसल, इस धरने से लोगों का बहुत नुकसान हुआ है। काम धंधा चौपट हो गया है। धरना स्थल के आसपास 100 से ज्यादा बड़े-बड़े ब्रांडों के शोरूम हैं। दो माह से अधिक समय से यह शोरूम बंद पड़े हैं। कालिंदी कुंज से जामिया नगर थाने जाने वाला मार्ग बंद होने से सैकड़ों दुकानें भी बंदी की कगार पर हैं।

दो महीने से रास्ता बंद

दो महीने से रास्ता बंद होने के कारण शाहीन बाग के लोगों को भी नोएडा, फरीदाबाद व दिल्ली के विभिन्न इलाकों में आने जाने में परेशानी हो रही है। हालत यह है कि तमाम भावुक अपीलों, लाउडस्पीकर पूरे शाहीन बाग, जामिया नगर और जाकिर नगर आदि इलाकों में प्रचार के बावजूद बमुश्किल दो तीन सौ लोग ही जुड़ते हैं।

जामिया धरने से भी गायब हो रही भीड़

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सामने चल रहे धरने से भी लोग गायब होते जा रहे हैं। 10 फरवरी को जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने संसद तक के लिए मार्च निकाला था, लेकिन मार्च में फूट पड़ गई और ज्यादातर लोग मार्च से वापस चले गए थे।

चुनाव से पूर्व पर्दे के पीछे से मदद करने वाले नेताओं ने मोड़ा मुंह

विधानसभा चुनाव से पूर्व पर्दे के पीछे से मदद करने वाले नेताओं ने भी अब मुंह मोड़ लिया है। लगातार धरना दे रहे लोग चाहते हैं कि किसी तरह सम्मान बना रहे। यही कारण है कि अभी तक प्रधानमंत्री को धरना स्थल पर बुलाने की जिद पकड़कर बैठे लोग गृह मंत्री से मिलने के लिए खुद निकल पड़े। हालांकि पुलिस ने उन्हें जाने नहीं दिया। दरअसल, धरने पर बैठे लोग चाहते हैं कि उन्हें ऊपर से कोई आश्वासन मिल जाए तो वे धरना समाप्त कर दें। इससे उनकी नाक भी बच जाए और यह धरना भी समाप्त हो जाए।

शाह से मिलने की अनुमति न मिलने के चलते टालना पड़ा पैदल मार्च

शाहीन बाग से पैदल मार्च निकालकर गृहमंत्री अमित शाह से मिलने जाने वाले प्रदर्शनकारियों को पुलिस से अनुमति न मिलने के कारण पैदल मार्च टालना पड़ा। दोपहर करीब तीन बजे चार बुजुर्ग दादी, धरने में शामिल कुछ बुजुर्ग व अधिवक्ता पुलिस अफसरों के पास बातचीत करने पहुंचे। पुलिस ने अनुमति के लिए उनका प्रार्थना पत्र मुख्यालय भेजने की बात उन्हें बताई। इसके बाद वे वापस लौट गए।

पुलिस अफसरों ने कहा- बगैर अनुमति आगे नहीं जाने देंगे

इन लोगों का दोपहर दो बजे पैदल मार्च निकालकर शाह से मिलने का कार्यक्रम प्रस्तावित किया था। शनिवार रात करीब तीन बजे शाहीन बाग थाने में प्रदर्शनकारियों ने पत्र देकर पांच हजार प्रदर्शनकारियों के पैदल मार्च निकालते हुए गृहमंत्री से मिलने की अनुमति मांगी थी। रविवार दोपहर दो बजे काफी संख्या में प्रदर्शनकारी मौके पर एकत्र हो गए थे। करीब ढाई बजे प्रदर्शन में शामिल कुछ बुजुर्ग पुलिस अफसरों से बातचीत को आगे आए, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बगैर अनुमति आगे नहीं जाने देंगे। अफसरों ने उन्हें बताया कि उनके प्रार्थना पत्र को पुलिस मुख्यालय भेज दिया गया है। वहां से अनुमति मिलने के बाद ही उन्हें आगे जाने दिया जाएगा।

बगैर अनुमति के किसी भी प्रदर्शनकारी को आगे नहीं जाने दिया जाएगा। यह बात स्पष्ट रूप से बता दी गई- राजेंद्र प्रसाद मीणा, डीसीपी दक्षिणी पूर्वी।


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