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दिल्ली पुलिस के सिपाही की बेटी को दुर्लभ बीमारी, मासूम ने लगाई पीएम मोदी से मदद की गुहार

एम्स में इस बीमारी से पीड़ित एक और बच्चे का पांच साल से इलाज चल रहा है। वह एनटीपीसी में तैनात कर्मचारी का बेटा है। एनटीपीसी इलाज का खर्च उठा रहा है। सिपाही के साथ समस्या है कि वह इलाज के लिए इतने रुपये कहां से लाएं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 09:53 AM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 09:53 AM (IST)
दिल्ली पुलिस के सिपाही की बेटी को दुर्लभ बीमारी, मासूम ने लगाई पीएम मोदी से मदद की गुहार
अपनी बिटिया माही के साथ सिपाही सुशील कुमार ’ सौजन्य : स्वयं

नई दिल्ली [धनंजय मिश्र]। दिल्ली पुलिस के एक सिपाही की सात वर्षीय बेटी दुर्लभ बीमारी से जंग लड़ रही है। यह जंग बिटिया तभी जीत पाएगी जब उनके पिता इलाज के लिए हर साल 2.43 करोड़ रुपये का इंतजाम कर पाएंगे। बिटिया को जो बीमारी है वह लाखों बच्चों में से किसी एक को होती है। इस बीमारी का नाम मोरक्विओ सिंड्रोम एमपीएस आइवीए एंजाइम डिसआर्डर है। इस बीमारी से मरीज के शरीर की हड्डियों का विकास बंद हो जाता है और शरीर का भी विकास नहीं हो पाता।

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एम्स में इस बीमारी से पीड़ित एक और बच्चे का पांच साल से इलाज चल रहा है। वह एनटीपीसी में तैनात कर्मचारी का बेटा है। एनटीपीसी इलाज का खर्च उठा रहा है। सिपाही के साथ समस्या है कि वह इलाज के लिए इतने रुपये कहां से लाएं।

दिल्ली पुलिस में 2006 में सिपाही के पद पर भर्ती हुए सुशील कुमार की दो बेटियां हैं। दोनों दिल्ली में केंद्रीय विद्यालय में पढ़ती हैं। छोटी बेटी माही इस बीमारी से पीड़ित है। शुरू में तो वह समझ ही नही पाए कि बेटी को कौन सी बीमारी है। उन्होंने कई चिकित्सकों से इलाज करवाया, लेकिन वह ठीक नहीं हो पाई। गत वर्ष वह माही को लेकर एम्स गए।

वहां पर लंबी जांच-पड़ताल के बाद नौ जुलाई को चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि उनकी बेटी को मोरक्विओ सिंड्रोम एमपीएस आइवीए एंजाइम डिसआर्डर नामक बीमारी है। चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं हैं। अमेरिका की एक कंपनी ही इस बीमारी के इलाज के लिए दवा बनाती है। इस दवा को मरीज के वजन के हिसाब से दिया जाता है। हालांकि इस दवा का इस्तेमाल मरीज को कई वर्ष तक किया जाता है।

पीएम मोदी और सीपी से मदद की गुहार

27 हजार रुपये प्रति माह का वेतन पाने वाले सुशील कुमार यह सोच-सोच कर रो रहे हैं कि उनकी बेटी की जान बचाने के लिए वह उसके इलाज के लिए करोड़ों रुपये कहां से लाएं। उनकी बिटिया ने प्रधानमंत्री से वीडियो के माध्यम से मदद की गुहार लगाई है। इसके साथ ही सुशील ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से भी मदद की गुहार लगाई है।

रुक जाता है शरीर का विकास

चिकित्सकों का कहना है कि मोरक्विओ सिंड्रोम एमपीएस आइवीए अनुवांशिक विकार है। इससे ग्रसित बच्चे का शारीरिक विकास आठ साल की उम्र के आसपास रुक जाता है। इसका इलाज मुख्य रूप से प्रसव से पूर्व पहचान कर किया जा सकता है, दूसरा एंजाइम रिप्लेसमेंट की दवा (जिसे 12 फरवरी 2014 को अमेरिका की कंपनी ने बनाई थी) का इस्तेमाल कर इलाज किया जाता है। एक शीशी में इस दवा की मात्र पांच मिलीग्राम होती है।


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