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सपा के वरिष्ठ नेता का दावा- यूपी में हुआ 3200 करोड़ का अनाज गुणवत्ता घोटाला

समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर का कहना है कि अनाज गुणवत्ता घोटाला पूरे देश में चल रहा है। इसे राज्यसभा में उठाया जाएगा।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 10:36 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 10:40 AM (IST)
सपा के वरिष्ठ नेता का दावा- यूपी में हुआ 3200 करोड़ का अनाज गुणवत्ता घोटाला
सपा के वरिष्ठ नेता का दावा- यूपी में हुआ 3200 करोड़ का अनाज गुणवत्ता घोटाला

नोएडा [ललित विजय]। अनाज गुणवत्ता घोटाला उजागर होने के बाद इस पर राजनीति तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी (SP) ने इसे 3200 करोड़ से ज्यादा का घोटाला बताया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव राय का कहना है कि जितने सैंपल लिए गए उसमें 20 फीसद फेल हो गए। इस हिसाब से भी आकलन किया जाए तो प्रदेश में 2018 में भारतीय खाद्य निगम की तरफ से खरीदे गए 78 लाख मीटिक टन में से 15.6 लाख मीट्रिक टन अनाज की गुणवत्ता खराब है। इसकी कीमत करीब 32 सौ करोड़ रुपये है।

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उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम के सभी 19 स्टॉक केंद्रों से नमूने लेकर जांच कराने की आवश्यकता है। साथ ही पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराई जाए।

वहीं, सपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सुरेंद्र नागर का कहना है कि अनाज गुणवत्ता घोटाला पूरे देश में चल रहा है। इसे राज्यसभा में उठाया जाएगा। उधर, केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार हर तरह की गड़बड़ी पर सख्त है। इसी का नतीजा है कि केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्रलय ने पूरी गड़बड़ी को पकड़ा। साथ ही अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार किसी अधिकारी को छोड़ा नहीं जाएगा।

केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय से लगातार पत्र आने के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

अनाज गुणवत्ता घोटाला करने वाले अधिकारियों को बचाने में भारतीय खाद्य निगम कई माह से जुटा है। केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रलय की तरफ से बार-बार मेल व पत्र लिखकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया फिर भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई। मंत्रलय की तरफ से सितंबर 2018 में भी कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया, लेकिन निगम के अधिकारी इस मामले को दबाते रहे।

जिम्मेदार अधिकारियों को किया गया शिफ्ट

वर्ष 2018 में खरीदे गए अनाज की गुणवत्ता जांच की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों को थी, उनका तबादला अब ऐसी जगहों पर कर दिया गया है, जहां से वह इस मामले की लीपापोती कर सकें। ऐसे चार अधिकारी हैं। जिस अधिकारी की प्रदेश में अनाज खरीद की पूरी जिम्मेदारी थी, उन्हें अब गुणवत्ता विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई है। अनाज खरीद के दौरान गुणवत्ता जांच की जिम्मेदारी जिसके पास थी, उन्हें अब विजिलेंस का जिम्मा दे दिया गया है। इसी तरह जिस स्टॉक में सबसे ज्यादा गड़बड़ी मिली, वहां के सहायक महाप्रबंधक गुणवत्ता को उप महाप्रबंधक गुणवत्ता मुख्यालय बना दिया गया है।

इस तरह सामने आई अनाज में गड़बड़ी

उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम के उत्तर प्रदेश के 19 जिलों में स्टॉक केंद्र हैं। केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रलय की क्वालिटी कंट्रोल टीम ने सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, फैजाबाद, गोरखपुर और आजमगढ़ जिले के स्टॉक से अप्रैल से जुलाई 2018 के बीच रैंडम से 500 नमूने लिए थे। लैब जांच में इनमें 101 नमूने फेल हो गए। निगम के स्टॉक में मौजूद गेहूं व चावल गिले, टूटे व स्वास्थ्य के लिए खराब पाए गए। इन नमूनों को गोदाम में जिस लॉट से एकत्र किया गया, वहां करीब एक लाख तिरसठ हजार छह सौ बीस क्विंटल अनाज था। इसकी कीमत अनुमानत: 33 करोड़ रुपये हैं। जांच में गुणवत्ता से खराब अनाज पाए जाने के बाद मंत्रलय की तरफ से अनाज को नष्ट करने व जिम्मेदारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। भारतीय खाद्य निगम के दिल्ली मुख्यालय ने उत्तर प्रदेश का मामला होने के कारण नोएडा सेक्टर 24 स्थित भारतीय खाद्य निगम (उत्तर आंचल) के कार्यकारी निदेशक को कार्रवाई के लिए लिखा।

घटिया अनाज में यह पाई गई गड़बड़ी

चावल - टूटे दाने, कंकड़-पत्थर मिक्स, मिलावटी अनाज, बदरंग

गेहूं - काले दाने(करनाल बट बीमारी के कारक), पतले दाने, बदरंग, मिलावटी अनाज, टूटे दाने

कई स्तर पर जांच की व्यवस्था, फिर भी हुई चूक

भारतीय खाद्य निगम की ओर से खरीद जाने वाले अनाज की गुणवत्ता जांच के लिए कई स्तर से चेकिंग होती है। अनाज खरीदने से पहले गोदाम के तकनीकी निरीक्षक की ओर से जांच होती है। फिर गोदाम के सहायक महाप्रबंधक गुणवत्ता जांच करते हैं। उसके बाद प्रदेश के गुणवत्ता उप महाप्रबंधक, प्रदेश महाप्रबंधक व नोएडा स्थित जोनल कार्यालय से जाकर अधिकारी समय-समय पर अनाज की गुणवत्ता की जांच करते हैं। इतने स्तर पर चेकिंग की व्यवस्था होने के बाद भी बड़े पैमाने पर घटिया अनाज की खरीद हो गई और कोई उसे पकड़ नहीं पाया।

गुणवत्ता में खराब अनाज का नहीं हुआ निस्तारण

केंद्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय की तरफ से आदेश आने के बाद भी गुणवत्ता में फेल अनाज का अब तक निस्तरण नहीं हुआ है। सारा अनाज अब भी स्टॉक में पड़ा है। जबकि नियम के मुताबिक खराब पाए गए चावल मिलों को वापस होने चाहिए। गेहूं भी वापस होना चाहिए। 


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