लैंगिक समानता को लेकर हुई संगोष्ठी में उठा गार्गी कॉलेज का मामला
‘महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने हेतु कानूनों को लैंगिक समानता के अनुकूल लाने के लिए चुनौतियां एवं संभावनाएं’ पर हुई संगोष्ठी में कई लोगों ने अपना पक्ष रखा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। पटेल नगर स्थित कालिंदी कॉलेज में राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से बुधवार को लैंगिक समानता पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था ‘महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने हेतु कानूनों को लैंगिक समानता के अनुकूल लाने के लिए : चुनौतियां एवं संभावनाएं’।
हालिया घटनाओं पर ध्यान किया केंद्रित
इस अवसर पर डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सलिल मिश्र, शिक्षा सलाहकार शैलेंद्र शर्मा, डीसीआरसी के निदेशक व राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. सुनील के चौधरी, दिल्ली विश्वविद्यालय में लॉ संकाय में प्रो. वेद कुमारी, शासी निकाय के अध्यक्ष प्रो. पीसी टंडन, कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अनीता टैगोर व सह-संयोजक डॉ. कर्णिका गौर मौजूद थीं। प्रो. टंडन ने गार्गी कॉलेज में यौन उत्पीड़न की हालिया घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।
सामाजिक जीवन में कानूनी ढांचे का किया गठन
इस मौके पर प्रो. सलिल मिश्र ने सामाजिक जीवन में कानूनी ढांचे का गठन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं, शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि लैंगिगता पर नैतिक प्रवचन को महिलाओं से पुरुषों तक केंद्रित करना चाहिए।
महिलाओं की भागीदारी पर चर्चा
प्रो. वेद कुमारी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे कानूनी ढांचा महिलाओं के प्रति कानूनी विषयों के रूप में भेदभावपूर्ण है। कार्यक्रम दो सत्रों में था। दूसरे सत्र का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता में हुआ, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण, इंदिरा जय सिंह, संवाद व विकास आयोग की वाइस चेयरमैन जैस्मीन शाह मौजूद थीं। इस दौरान न्यायमूर्ति कुरियन ने महिलाओं को स्वायत्त स्वाभिमानी व्यक्ति के रूप में मानने का आव्हान किया।