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1971 युद्ध की शौर्य गाथा की यादों को देख युवाओं में जग रहा देशभक्ति का जज्बा

कांग्रेस कार्यालय में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (1971) के 50 वर्ष पूरे होने पर लगाई प्रदर्शनी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है। प्रदर्शनी में लगी भारतीय सेना की यादों को देखकर युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जग रहा है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 13 Oct 2021 08:12 PM (IST)Updated: Wed, 13 Oct 2021 08:12 PM (IST)
1971 युद्ध की शौर्य गाथा की यादों को देख युवाओं में जग रहा देशभक्ति का जज्बा
1971 के युद्ध की शौर्य गाथा की यादों को देख युवाओं में जग रहा देशभक्ति का जज्बा

नई दिल्ली [राहुल सिंह]। अकबर रोड स्थित कांग्रेस कार्यालय में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (1971) के 50 वर्ष पूरे होने पर लगाई प्रदर्शनी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है। प्रदर्शनी में लगी भारतीय सेना की यादों को देखकर युवाओं में देशभक्ति का जज्बा जग रहा है। लोगों का कहना है कि भारतीय सेना ने हमेशा देश के लिए अपने प्राण दांव पर लगाकर दुश्मनों को मार भगाया है। आज भी देश के सैनिक सीमाओं पर रहकर चीन और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं।

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वहीं, प्रदर्शनी में परमवीर चक्र विजेताओं को भी विशेष सम्मान दिया गया है, जिनकी तश्वीरे लगाई गई, जिनके बलीदान की गाथाी भी लोग जान रहे हैं। इसमें बिग्रेडियर एएस वैद्य, कुलदीप सिंह चंद्रपुरी, लेफ्टिनेंट जरनल मोहन वोहरा समेत 12 बलिदानियों को प्रदर्शनी में स्थान दिया गया है, जो वर्ष 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान शहीद हुए थे।

भारत-पाकिस्तान के युद्ध के बाद मुक्त हुए बांग्लादेश एक नया देश बना था। यह वही साल था, जब दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश एक स्वतंत्र देश के रूप में उभरा। 1971 के उस इतिहास बदलने वाले युद्ध की शुरुआत तीन दिसंबर, 1971 को हुई थी। मार्च 1971 के अंत में भारत सरकार ने मुक्तिवाहिनी की मदद करने का फैसला लिया और पूर्वी पाकिस्तान की सेना के खिलाफ युद्ध लड़ा था। प्रदर्शनी में इस समय थल सेना, जल सेना और वायु सेना द्वारा मुक्तिवाहिनी को किए गए समर्थन की फोटो भी शामिल हैं।

वहीं, 31 मार्च 1971 को इंदिरा गांधी द्वारा भारतीय सांसद में भाषण देते हुए पूर्वी बंगाल के लोगों की मदद की बात की यादों को भी शामिल किय गया है। उन्होंने किस तरह से भारतीय सेना के जज्बे को समर्थन दिया था। साथ ही अक्टूबर-नवंबर 1971 के महीने में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके सलाहकारों ने यूरोप और अमेरिका का दौरा किया था, जिसकी तश्वीरों को भी प्रदर्शनी में लगाया गया है।


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