DU Appointment Dispute: अधिकारों के सुलगते सवालों के बीच डीयू के नए कुलपति की तलाश शुरू
DU Appointment Dispute वर्तमान कुलपति का कार्यकाल कार्यकारी कुलसचिव की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के लिए भी जाना जाएगा। नियुक्ति के चलते कुलपति और कार्यकारी कुलपति के अधिकारों के टकराव की चर्चा लंबे समय तक होती रहेगी।
नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। DU Appointment Dispute: दिल्ली विश्वविद्यालय के नए कुलपति की खोज शुरू हो गई है। डीयू ने शनिवार को कुलपति की नियुक्ति संबंधी विज्ञापन वेबसाइट पर भी जारी कर दिया। कुलपति प्रो योगेश कुमार त्यागी का कार्यकाल 10 मार्च 2021 को खत्म हो रहा है। वर्तमान कुलपति का कार्यकाल कार्यकारी कुलसचिव की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के लिए भी जाना जाएगा। नियुक्ति के चलते कुलपति और कार्यकारी कुलपति के अधिकारों के टकराव की चर्चा लंबे समय तक होती रहेगी। हालत इस कदर बिगड़े कि पहली बार अधिकारों की लक्ष्मण रेखा तय करने के लिए राष्ट्रपति को दखल देना पड़ा। नतीजा यह हुआ कि डीयू के 98 साल के इतिहास में पहली बार किसी कुलपति का निलंबन हुआ।
विवाद अक्टूबर माह में कुलपति प्रो. योगेश कुमार त्यागी द्वारा कार्यकारी कुलसचिव पद पर प्रो. पीसी झा की नियुक्ति के साथ शुरू हुआ। कार्यकारी कुलपति ने डॉ विकास गुप्ता को कुलसचिव नियुक्त किया। कहा गया कि कुलपति जुलाई माह से ही अवकाश पर है और उनकी अनुपस्थिति में कार्यकारी कुलपति ही नियुक्ति कर सकता है। कुलपति जहां अपने अधिकारों की दुहाई देते रहे वहीं शिक्षा मंत्रालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय 1922 के नियमों का हवाला देकर उनके द्वारा की गई नियुक्तियों को गलत करार दे दिया। बावजूद इसके दोनों ही पक्ष अपने-अपने अधिकारों का हवाला देकर नियुक्तियों को वैद्य करार देते रहे।
राष्ट्रपति की सहमति
डीयू के उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि नियुक्ति प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है। सबसे पहले कार्यकारी परिषद की बैठक में सर्च कमेटी गठित होती है। इस कमेटी में नॉमिनी चांसलर व दो अन्य कार्यकारी परिषद के सदस्य होते हैं। विज्ञापन जारी होने के बाद आने वाले आवेदनों को यही सर्च कमेटी जांचती परखती है। साक्षात्कार भी लिए जाते हैं। इसके बाद सर्च कमेटी द्वारा चुने गए आवेदनों को शिक्षा मंत्रालय भेेजा जाता है। यहां एक बार फिर आवेदकों का साक्षात्कार होता है एवं फिर एक से अधिक नाम राष्ट्रपति को भेजे जाते हैं। राष्ट्रपति का निर्णय ही अंतिम एवं सर्वमान्य होता है। राष्ट्रपति एक नाम चुन लेते हैं एवं फिर बंद लिफाफे में जवाब सर्च कमेटी के पास भेज दिया जाता है। कमेटी कुलपति के नाम की घोषणा करती है।
कुलपति के वेतन में दोगुना का इजाफा
साल 2015 में जब कुलपति की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ था तो प्रतिमाह वेतन 75 हजार रुपये व प्रतिमाह 5 हजार रुपये भत्ता था। लेकिन फिलहाल जो विज्ञापन जारी हुआ है उसमें कुलपति का वेतन प्रतिमाह 2 लाख 10 हजार रुपये और 11 हजार 250 रुपये विशेष भत्ता सुनिश्चित है। यानी वेतन में दोगुना से अधिक की वृद्धि हो गई है।
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