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School Reopen In Delhi Ncr: अभिभावकों को भी बनना होगा नई व्यवस्था का हिस्सा

समय-समय पर स्कूल जाकर उन्हें खुद देखना होगा कि सुरक्षा मानकों के पालन में कहीं कोई लापरवाही तो नहीं हो रही है। अगर अभिभावक ऐसा करने लगेंगे तो स्कूल प्रबंधन पर दबाव बना रहेगा और वे व्यवस्था दुरुस्त रखने को तत्पर रहेंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 12:44 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 12:44 PM (IST)
School Reopen In Delhi Ncr: अभिभावकों को भी बनना होगा नई व्यवस्था का हिस्सा
पढ़ाई के साथ खेलकूद भी तो जरूरी है।

नई दिल्‍ली, सुशील गंभीर। School Reopen In Delhi Ncr देखिए, एक साल का समय सबक सिखाने, सिद्धांतों को जगाने वाला रहा। कोरोना ने निश्चित ही बुरी तरह से हर किसी को विचलित जरूर कर दिया, लेकिन एक सत्य यह भी है कि यदि यह दौर नहीं आता तो हम वही पुराने ढर्रे में जीते रहते। इस एक साल में जो सीखने-सिखाने, चेतना जगाने वाला समय रहा, वह बेहद अभूतपूर्व अनुभव भी देकर गया। शिक्षा की दिशा में भी कई आयाम रचे गए। आनलाइन शिक्षा के लिए एक वैकल्पिक बहु उपयोगी प्लेटफार्म खड़ा हो गया। निश्चित ही यह हर किसी लुभाया नहीं, या बहुत से वर्ग तक कमजोर तकनीक की पहुंच के कारण इससे वंचित रहे लेकिन आनलाइन शिक्षा प्रणाली ने बहुत कुछ दिया। लेकिन शिक्षा का सफल-सुगम सिद्धांत वही समझ आता है जब मास्टर जी क्लास में सामने हों और क्लास रूम खचाखच छात्रों से भरा हो।

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एक अलग ही किस्म का बौद्धिक वर्धन होता है उस माहौल में। अब यहां तो वैसे भी नर्सरी के दाखिले और उनकी शिक्षा की बात हो रही है। इन्हें एक सांचे में ढालना ही अपने आप में एक शिक्षक के लिए कला है। लेकिन कुछ अभिभावक अब भी कोरोना से भयभीत हैं कि बच्चों को स्कूल भेजेंगे तो कहीं दिक्कतें नहीं बढ़ जाएं। मैं मानता हूं अब जब सब कुछ ही सामान्य वातावरण के अनुकूल होता जा रहा है तो स्कूल पूरी तरह से खुलने चाहिए बच्चों को स्कूल भेजना चाहिए। हां, स्कूलों में कोरोना संक्रमण से बचाव के नियमों का कायदे से अनुपालन होना चाहिए। इसके लिए स्कूल प्रबंधन को प्रतिबद्धता के साथ अभिभावकों न सिर्फ विश्वास दिलाना होगा बल्कि कोरोना के नियमों का पालन भी कराना होगा। भले ही महामारी से बचाव का टीका भी आ गया है। और कोरोना संक्रमण के मामले भी न्यूनतम की कगार पर पहुंच रहे हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम लापरवाही बरतने लगें। बच्चों को पुराने दौर में लाना जरूरी है, लेकिन नए अंदाज के साथ। मेरा यह मानना है आनलाइन शिक्षा भले एक साल के लिए बेहतर विकल्प बनकर उभरी लेकिन स्कूली शिक्षा और डिजिटल शिक्षा में खासा फर्क है। बहुत से अभिभावकों ने तो आनलाइन पढ़ाई से बिलकुल ही इन्कार कर दिया। भले उन्हें एक साल बच्चे को यूं ही घर में बैठाना मंजूर रहा।

तकरार का होगा समाधान : प्रदेश की सरकारों ने स्कूली व्यवस्था को बहाल करने के लिए चिंतन किया है तो यह अच्छी बात है। क्योंकि हम किसी व्यवस्था को लंबे समय तक उसके मूल उद्देश्य से वंचित नहीं रख सकते। ऐसे में यह अच्छा कदम है। बच्चे भी अब घर पर बैठकर ऊब गए हैं। दूसरा मसला फीस को लेकर भी है। कई अभिभावक कह रहे हैं कि जब स्कूलों में पढ़ाई ही नहीं हुई तो वे फीस क्यों दें, जबकि स्कूल प्रबंधन फीस की मांग कर रहा है। ऐसे में उनके बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो सकती है। हालांकि बीच में इस तरह के कई मामले अदालतों में पहुंचे भी हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए स्कूलों का खुलना बेहद जरूरी है।

मापदंडों को के साथ पुराने स्वरूप में लौटना जरूरी : पिछले दिनों हमने एक सर्वे किया था। जहां मैंने हर वर्ग के बच्चों से पूछा कि स्कूल जाना ज्यादा अच्छा है या घर में बैठकर पढ़ना? 90 फीसद से भी ज्यादा बच्चों ने कहा कि स्कूल में पढ़ाई का जो माहौल मिलता है वह घर पर संभव ही नहीं है। सहपाठियों के साथ बैठकर पढ़ने से लेकर स्कूल के मैदान में खेलकूद तक छात्र जीवन का अहम हिस्सा है। बीते एक साल से बच्चे शारीरिक गतिविधियों से दूर हैं। पढ़ाई के साथ खेलकूद भी तो जरूरी है।

अभिभावकों को भी बनना होगा नई व्यवस्था का हिस्सा: जहां तक अभिभावकों की चिंता की बात है। निश्चित ही बच्चा चाहे स्कूल में पढ़ा या कोरोना काल में घर पर पढ़ा। एक अभिभावक र्की ंचता हर स्तर पर बनी रहना स्वाभाविक है। बच्चा स्कूल में ठीक से पढ़ रहा है या नहीं, दूसरे बच्चों से कमजोर तो नहीं रह जाएगा, यह सब हमेशा से ही अभिभावकों की चिंता के विषय रहे हैं और आगे भी रहेंगे। बस इसमें एक नई चिंता कोरोना से सुरक्षा मानकों को लेकर जोड़ दी है। जायज भी है, इसके लिए उन्हें स्कूल प्रबंधन से जवाबदेही तय करनी होगी। अभिभावकों को इस नई व्यवस्था का हिस्सा बनने की जरूरत है ताकि उनका बच्चा स्कूली शिक्षा और वहां के माहौल का भरपूर आनंद ले सके।

[अशोक अग्रवाल, अध्यक्ष, आल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन]


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