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सत्येंद्र जैन का अफसरों को निर्देश, एसटीपी से निकलने वाले 100 एमजीडी शोधित पानी का करें इस्तेमाल

जल मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली में तेजी से बढ़ती आबादी के कारण आने वाले दिनों में बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होगी। ऐसे में हम सभी को पानी का इस्तेमाल बहुत ही समझदारी के साथ करने की जरूरत है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 03:12 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 03:12 PM (IST)
सत्येंद्र जैन का अफसरों को निर्देश, एसटीपी से निकलने वाले 100 एमजीडी शोधित पानी का करें  इस्तेमाल
दिलली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने तिमारपुर और भलस्वा झील साइट का निरीक्षण करने के साथ रोहिणी, रिठाला, कारोनेशन वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा भी किया। इस मौके पर सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को पेयजल पर दबाव कम करने के लिए अधिक से अधिक शोधित जल प्रवाह का उपयोग करने के निर्देश दिए।

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उन्होंने जल बोर्ड के अधिकारियों को ग्रीन बेल्ट और वन क्षेत्रों में रिठाला, रोहिणी और कोरोनेशन पिलर एसटीपी से आने वाले 100 एमजीडी शोधित पानी का इस्तेमाल करने के भी निर्देश दिए।

पानी के संसाधन के नए विकल्प स्थापित किए जाने की जरूरत

दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष एवं जल मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली में तेजी से बढ़ती आबादी के कारण आने वाले दिनों में बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होगी। ऐसे में हम सभी को पानी का इस्तेमाल बहुत ही समझदारी के साथ करने की जरूरत है। पहले से उपलब्ध पानी के संसाधनों पर बोझ कम करने और जहां भी संभव हो, पानी के संसाधन के नए विकल्प स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार, यमुना को स्वच्छ बनाने और दिल्ली में कम होते भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।  साथ ही यह भी कहा कि हाल के दिनों में इस शोधित पानी का उपयोग अपनी पूरी क्षमता के साथ नहीं किया जा रहा है। अभी हमारे पास 20 दूषित जल शोधित संयंत्र (वेस्ट वाॅटर ट्रीमटमेंट प्लांट) हैं, जिसमें 500 एमजीडी दूषित जल को साफ किया जाता है और उसमें से 90-95 एमजीडी जल का उपयोग किया जा रहा है।

मंत्री सतेंद्र जैन ने अधिकारियों को अब एसटीपी से निकलने वाले 100 एमजीडी शोधित पानी का उपयोग करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि उक्त एसटीपी में और उसके आसपास उपलब्ध लगभग 500 एकड़ के ग्रीन बेल्ट और वन क्षेत्रों में रिठाला, रोहिणी और कोरोनेशन पिलर के शोधित जल प्रवाह का उपयोग चरणबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए।

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