Move to Jagran APP

संजय खुद की मेहनत से बने चार्टेड अकाउंटेंट और के लिए भी बन रहे हैं मिशाल, 1900 बच्‍चों को दे चुके नि:शुल्‍क शिक्षा

संजय गुप्ता अपने खुद की बदौलत आज एक सफल चार्टेड अकाउंटेंट तो हैं ही उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे प्रोफेशनल्स की फाैज तैयार दी है जो चार्टेड अकाउंटेंट के कार्यालय में सहयोगी के तौर पर कार्यरत हैं या किसी न किसी कंपनी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 08:18 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 08:18 PM (IST)
संजय खुद की मेहनत से बने चार्टेड अकाउंटेंट और के लिए भी बन रहे हैं मिशाल, 1900 बच्‍चों को दे चुके नि:शुल्‍क शिक्षा
नजफगढ़ निवासी चार्टेड अकाउंटेंट संजय गुप्ता- फाइल फोटो।

नई दिल्ली, बिरंचि सिंह।  जिसने मेहनत का मर्म जाना उसने आर्थिक तंगी की हालत में ही अपना मुकाम हासिल किया बल्कि औरों के लिए भी मिशाल बना। नजफगढ़ निवासी चार्टेड अकाउंटेंट संजय गुप्ता ऐसे ही शख्स हैं। जो आर्थिक तंगी की वजह से किसी निजी सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं कर सके।

loksabha election banner

उंची शिक्षा और मंहगे संस्थानों में डिग्री डिप्लोमा लेने के लिए पैसे नहीं थे ऐसे में वे किसी अन्य प्रोफेशन का चुनाव तक नहीं कर सके। विकल्प के तौर पर उनके सामने सरकारी स्कूल और खुद का मेहनत था। ऐसे मेें

उन्होंने नजफगढ़ के ही सरकारी स्कूल स्कूली पढ़ाई पूरी की। छह वर्ष के कठिन परिश्रम के बाद चार्टेड अकाउंट बनने का सपना भी साकार कर लिया।

संजय गुप्ता, अपने खुद की बदौलत आज एक सफल चार्टेड अकाउंटेंट तो हैं ही उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे प्रोफेशनल्स की फाैज तैयार दी है जो चार्टेड अकाउंटेंट के कार्यालय में सहयोगी के तौर पर कार्यरत हैं या किसी न किसी कंपनी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

चार्टेड अकाउंटेंट संजय गुप्ता कहते हैं कि वे नजफगढ़ दिल्ली गेट के समीप सरकारी स्कूल नंबर एक में जरूर

पढ़े लेकिन मेहनत की बदौलत क्लास में हमेशा नंबर एक पर रहे। चूंकि, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मंहगी पढ़ाई कर सके। चूंंकि, पढ़ाई पर ज्यादा रकम नहीं खर्च कर सकते थे। इसलिए स्कूल के ही शिक्षकों के सलाह पर चार्टेड अकाउंटेंट की पढ़़ाई शुरू कर दी।

छह साल में अपने मेहनत की बदौलत चार्टेड अकाउंटेंट बन गया। चूंकि, आर्थिक तंगी का दर्द दिल में था इसलिए ऐसे छात्रों को प्रशिक्षण देने का काम किया जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। ऐसे छात्रों को मार्गदर्शन भी किया। आज भी उन बच्चों को प्रशिक्षित करन कर रोजगार दिलाने का प्रयास करते हैं बच्चे व्यर्थ में समय गंवा रहे थे। वे बताते हैं कि पिछले दस साल के दौरान वे छात्रों को कंप्यूटर पर खाता बही तैयार करने का प्रशिक्षण देते रहे।

उन्हें इस काबिल बना दिया कि किसी भी चार्टेड अकाउंटेंट का कार्य संभालने में सक्षम हो। फिर भी प्रशिक्षण उपरांत भी बच्चों को भटकने के लिए नहीं छोड़ा, इन बच्चों को बच्चों को किसी न किसी जगह पर काम दिलाते रहे। अभी तक 1900 छात्रों को प्रशिक्षित कर रोजी रोजगार दिला चुके हैं। ये बच्चे अब प्रोफेशनस की तरह काम कर रहे हैं 25 से 40 हजार रुपये वेतन भी ले रहे हैं।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.