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डीएसजीएमसी की सत्ता पर शिअद के काबिज होने के दो दिन बाद सुखबीर बादल ने बधाई, विपक्ष ने उठाए सवाल

कार्यकारिणी गठन के दो दिनों बाद पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने डीएसजीएमसी के नए अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को बधाई दी है। ट्वीटर पर दी गई बधाई में उन्होंने कहीं इस बात का जिक्र नहीं किया कि शिअद बादल को फिर से डीएसजीएमसी की सेवा मिली है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 09:31 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 09:31 PM (IST)
डीएसजीएमसी की सत्ता पर शिअद के काबिज होने के दो दिन बाद सुखबीर बादल ने बधाई, विपक्ष ने उठाए सवाल
डीएसजीएमसी की सत्ता पर शिअद का कब्जा, सुखबीर सिंह बादल की बधाई में देरी से उठ रहे सवाल

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) की सत्ता पर लगातार तीसरी बार शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) का कब्जा होने के बावजूद पार्टी नेतृत्व में उत्साह नहीं दिख रहा है। कार्यकारिणी गठन के दो दिनों बाद पार्टी के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने डीएसजीएमसी के नए अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को बधाई दी है। ट्वीटर पर दी गई बधाई में उन्होंने कहीं इस बात का जिक्र नहीं किया कि शिअद बादल को फिर से डीएसजीएमसी की सेवा मिली है। इससे सवाल खड़े होने लगे हैं। विरोधियों का कहना है कि पर्दे के पीछे अकाली ने भाजपा के साथ अपवित्र गठबंधन किया है। अब बादल को पंजाब विधानसभा चुनाव में इससे नुकसान का डर सताने लगा है।

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22 जनवरी को हुए चुनाव में शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका को डीएसजीएमसी का अध्यक्ष घोषित किया गया था। इस तरह से लगातार तीसरी बार शिअद बादल ने डीएसजीएमसी की सत्ता हासिल की है। लेकिन, पार्टी में पहले की तरह उत्साह नहीं दिख रहा है। 25 अगस्त को कमेटी का चुनाव परिणाम घोषित हुआ था उस समय सुखबीर सिंह बादल ने तुरंत जीते हुए सदस्यों को अपने पास बुलाकर बधाई दी थी। वहीं, कार्यकारिणी चुनाव में जीत पर दो दिनों तक वह चुप रहे। उसके बाद सोमवार सुबह बधाई दी भी तो कहीं पार्टी की जीत का जिक्र नहीं किया। इससे विरोधियों को पार्टी व डीएसजीएमसी पर हमला करने का मौका मिल गया है।

डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष और जग आसरा गुरु ओट (जागो) के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके का कहना है कि गैर कानूनी तरीके से कार्यकारिणी का चुनाव हुआ है। पर्दे के पीछे शिअद बादल और भाजपा के बीच अपवित्र गठबंधन हुआ है। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ मिलकर कालका ने गुरुद्वारा निदेशक और पुलिस के साथ मिलकर अवैध तरीके से कमेटी पर कब्जा किया है। पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब की अनुपस्थिति में कार्यकारिणी का चुनाव हुआ है। इससे आम सिखों में नाराजगी है। इसका नुकसान पंजाब विधानसभा चुनाव में शिअद बादल को उठाना पड़ सकता है। इस डर से बादल डीएसजएमसी से दूरी बनाने का दिखावा कर रहे हैं, लेकिन लोग सच्चाई जानते हैं। डीएसजीएमसी के पूर्व उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ का कहना है कि शिअद बादल की दिल्ली इकाई पूरी तरह से भाजपा की शरण में है। इसका खामियाजा पार्टी को पंजाब विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।


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