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देश में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए राज्यवार रणनीति बनाएगा संघ

मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) राज्यवार रणनीति बनाएगा और उसके साथ स्थानीय जनमानस को जोड़ेगा। विजयादशमी उत्सव के अवसर पर अपने उद्बोधन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 30 Oct 2021 07:17 AM (IST)Updated: Sat, 30 Oct 2021 07:50 AM (IST)
देश में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए राज्यवार रणनीति बनाएगा संघ
मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए राज्यवार रणनीति बनाएगा संघ

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) राज्यवार रणनीति बनाएगा और उसके साथ स्थानीय जनमानस को जोड़ेगा। कर्नाटक के धारावाड़ में चल रही संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (एबीकेएम) की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जिसमें तय हुआ की राज्य की स्थिति के अनुसार स्थानीय संगठन अपने स्तर पर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने की रणनीति तय करेंगे और उस पर आगे बढ़ेंगे। विजयादशमी उत्सव के अवसर पर अपने उद्बोधन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।

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उन्होंने कहा था कि हिंदू मंदिरों की आज की स्थिति को लेकर कई तरह के प्रश्न है। दक्षिण भारत के मन्दिर पूर्णतः वहां की सरकारों के अधीन हैं जिनकी मंदिरों में आस्था नहीं है उन लोगों पर भी मंदिरों का धन खर्च हो रहा है।

संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा। कई राज्य के पदाधिकारियों ने अपने यहां के ऐसे मंदिरों पर प्रकाश डाला। हर राज्य की परिस्थितियां अलग है। दक्षिण के राज्यों में जहां मंदिर सरकार के पूर्ण नियंत्रण में हैं तो किसी राज्य में न्यास तो कई स्थानों पर यह निजी हाथों में हैं। हर राज्य में नियंत्रण की अलग-अलग परिस्थितियां हैं। बैठक में तय हुआ ऐसे में कि इसे लेकर संगठन की कोई राष्ट्रीय रणनीति तय करने की जगह यह जिम्मा राज्य इकाई को दे दिया जाएं। वे अपने यहां की परिस्थिति के अनुसार रणनीति बनाएं। साथ ही उसमें आम जनमानस को सहभागी बनाएं। क्योंकि यह समाज का मुद्दा है।

बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर के बाद संघ ने सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों को बंधन से मुक्त कराने का मुद्दा थामा है और क्रमवार तरीके से इस पर आगे बढ़ रहा है। संघ के अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा गठित समिति इस माह से विभिन्न राज्यों में जाकर ऐसे मंदिरों को लेकर रिपोर्ट तैयार करने तथा उन्हें मुक्त कराने की रणनीति को लेकर स्थानीय प्रबुद्ध लोगों से विचार -विमर्श कर रही है। इस समिति के संयोजक विहिप के संयुक्त महामंत्री कोटेश्वर शर्मा हैं। उम्मीद है कि छह माह बाद यह रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। उसके बाद इसपर कोई बड़े आंदोलन की घोषणा हो सकती है।

इसी वर्ष फरवरी में दिल्ली में संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की मौजूदगी में विहिप के वरिष्ठ पदाधिकारियों व प्रमुख संतों की बैठक हुई थी, जिसमें इस विषय को आगे ले जाने का निर्णय किया गया था। वहीं, इसी वर्ष जुलाई में फरीदाबाद में आयोजित विहिप की प्रबंध समिति व प्रन्यासी मंडल की बैठक में विहिप ने इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करते हुए दो प्रस्ताव भी पारित किए थे।

विहिप के अनुसार दक्षिण के प्रसिद्ध तिरुपति तिरुमला मंदिर समेत अन्य प्रमुख आस्था के केंद्रों के साथ देशभर में ऐसे तकरीबन चार लाख मंदिर है जो सरकारी नियंत्रण में है।


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