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RSS Chief Mohan Bhagwat: संस्कृति और प्रकृति की माला पिरोएंगे मोहन भागवत

सर संघचालक मोहन भागवत रविवार 30 अगस्त को एक वर्चुअल उद्बोधन में देशभर के लोगों के सामने इसका रोडमैप रखेंगे।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 09:55 AM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 09:55 AM (IST)
RSS Chief Mohan Bhagwat: संस्कृति और प्रकृति की माला पिरोएंगे मोहन भागवत
RSS Chief Mohan Bhagwat: संस्कृति और प्रकृति की माला पिरोएंगे मोहन भागवत

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। भारतीय संस्कृति और प्रकृति का आदिकाल से ही गहरा नाता रहा है, लेकिन आधुनिकता की अंधी दौड़ इनके बीच खाई पैदा कर रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसको पाटने की कोशिश में जुटा है। वह संस्कृति और प्रकृति की ऐसी माला पिरोने की कोशिश में है, जो फिर से भविष्य में इनको एकाकार कर दे। सर संघचालक मोहन भागवत रविवार, 30 अगस्त को एक वर्चुअल उद्बोधन में देशभर के लोगों के सामने इसका रोडमैप रखेंगे।

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हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन (एचएएसएफ) व संघ के पर्यावरण संरक्षण गतिविधि विभाग के प्रकृति वंदन कार्यक्रम में तकरीबन 10 मिनट के उद्बोधन में वह न सिर्फ पर्यावरण व संस्कृति के बीच गहरे नाते को रेखांकित करेंगे, बल्कि इसकी रक्षा व संरक्षण का संकल्प दिलाते हुए देशवासियों को भी इसमें आगे आकर योगदान देने का आह्वान भी करेंगे। इसके पहले 26 अप्रैल को अपने पहले वर्चुअल प्रबोधन में भागवत ने कोरोना को आपदा की जगह अवसर में तब्दील करने के साथ प्रकृति संरक्षण पर जोर दिया था।

कार्यक्रम में भागवत के साथ देश के प्रमुख साधु-संतों का भी उद्बोधन होगा और प्रकृति से आध्यात्मिक, धार्मिक व भावनात्मक लगाव को जागृत किया जाएगा। इस कार्यक्रम में शहीद अमृता देवी सहित पेड़ व प्रकृति की रक्षा में जान की बाजी लगाने वाले लोगों का विशेष जिक्र होगा। अवधेशानंद गिरी व स्वामी चिंदानंद का भी होगा उद्बोधनभागवत का उद्बोधन रविवार को सुबह 10.15 से होगा, जबकि पूरा कार्यक्रम 10 बजे से 11 बजे तक का है। इसका लाइव प्रसारण एचएएसएफ के फेसबुक पेज से होगा। भागवत के बाद अवधेशानंद गिरी व स्वामी चिंदानंद जैसे कुछ प्रमुख संतों का उद्बोधन होगा।

संघ के पर्यावरण विभाग के अखिल भारतीय सह संयोजक राकेश जैन ने बताया कि इसी तरह के कार्यक्रम उस दिन प्रदेश स्तर पर भी आयोजित होंगे, जिसमें वहां के प्रमुख संतों व पर्यावरण रक्षकों का भी उद्बोधन होगा। उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ रहना हमारी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहा है। यह पारंपरिक प्रथाओं, लोककथाओं, कलाओं, शिल्प व दैनिक जीवन में परिलक्षित होता है, पर वर्तमान में यह स्वरूप बिगड़ रहा है।

इस आयोजन से लोग को जोड़ने के लिए एचएएसएफ और संघ के पर्यावरण विभाग द्वारा ऑनलाइन संकल्प पत्र भरवाया जा रहा है। लोग 9354919695 पर मिस्ड कॉल से भी बड़ी तादात में जुड़ रहे हैं। संघ को उम्मीद है कि उस दिन एक साथ कई करोड़ लोग तक यह संदेश जाएगा।

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