फेक न्यूज के खिलाफ आया आरएसएस का ऋतम एप; लांच होते ही छा गया
सोशल मीडिया से लेकर मुख्य मीडिया में फेक खबरों की बाढ़ है। देश को तोड़ने व लोगों में वैमनस्यता फैलाने वाली यह खबरें देश में प्रायोजित कराई जा रही है। अब आरएसएस इसके खिलाफ उतरा है।
नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। सोशल मीडिया में इन दिनों फेक खबरों की बाढ़ सी रहती है। कई खबरें तो देश की एकता-अखंडता को तोड़ने वाली और लोगों में वैमनस्यता फैलाने वाली होती हैं। इनसे निपटने के लिए केंद्र सरकार के साथ अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कमर कस ली है। आरएसएस का ऋतम एप फेक खबरों को उजागर कर रहा है और वास्तविकता को सामने ला रहा है। इस एप को दो दिन पहले ही आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारतीय विचार मंच के कार्यक्रम में अहमदाबाद में लांच किया है।
संघ के प्रचार विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि दो दिनों में ही इस एप को एक लाख से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है। मतलब साफ है कि फेक खबरों के पीछे की हकीकत जानने के लिए लोग उत्सुक हैं। युवा भारत को ध्यान में रखकर हाईटेक हो रहा संघ ऋतम एप के माध्यम से देशवासियों को राष्ट्रीय परिपेक्ष्य की सकारात्मक खबरें पढ़ा रहा है। इसमें हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, बांग्ला, मराठी व गुजराती समेत कुल 12 भाषाओं में राष्ट्रवाद की खबरें उपलब्ध हैं।
इस एप में पांचजन्य, ऑर्गनाइजर, साप्ताहिक विवेक, न्यू भारती, महा एमटीबी, न्यूज13, विश्व संवाद केंद्र तेंलगाना, ओडिया प्रकाशन, हिंदी विवेक, साधना साप्ताहिक समेत अन्य भाषाओं के प्रकाशन भी जोड़ दिए गए हैं। साथ ही स्तंभकारों को भी जगह दी गई है।
इस एप पर राजनीति, समाज, कला, संस्कृति, इतिहास, अर्थ, अंतरराष्ट्रीय, अध्यात्म, विज्ञान व तकनीक की खबरे हैं तो मानवीय कहानियां भी हैं। साथ ही फिल्मी खबरों को भी जगह दी गई है। इस एप पर फेक खबरों में आजकल संसद से लेकर सड़क तक चर्चित राफेल मुद्दे को भी शामिल किया गया है।
एक अंग्रेजी अखबार की उस खबर को फेक बताया गया है, जिसमें रक्षा मंत्रालय के पत्रों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया है। संघ के एक पदाधिकारी के मुताबिक, फेक खबरें देश को अस्थिर करने की साजिश होती हैं। इसलिए, जरूरी हो गया था कि लोगों को ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाए, जिससे कि वे सही खबरों तक पहुंच सकें। वैसे भी 94 साल पुराना संघ मोहन भागवत के नेतृत्व में धीरे-धीरे नए कलेवर में सामने आ रहा है। आज के युवा सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं तो संघ भी टेक्नोसेवी हो रहा है। संघ के पास उत्कर्ष जैसा एप भी है, जो स्वयंसेवकों को राष्ट्रवाद की खबरें देता है।